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आरती

शिव जी की आरती | Shiv Ji ki aarti

ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा । ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ।। ॐ जय शिव…।। एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।

विकास विकास

विकास

21-01-2024

उपन्यास

भाग-36 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-36 - godan - munshi premchand

दो दिन तक गांव में खूब धूम-धाम रही । बाजे बजे, गाना-बजाना हुआ और रूपा रो-धोकर बिदा हो गयी; मगर होरी को किसी ने घर से निकलते न देखा । ऐसा छिपा बैठा था जैसे मुँह में कालिख लगी हो । मालती के आ जाने से

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

17-01-2024

उपन्यास

भाग-35 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-35 - godan - munshi premchand

होरी की दशा दिन-दिन गिरती ही जा रही थी । जीवन के संघर्ष में उसकी सदैव हार हुई; पर उसने कभी हिम्मत नहीं हारी । प्रत्येक हार जैसे उसे भाग्य से लड़ने की शक्ति दे देती थी; मगर अब वह उस अन्तिम दशा

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

17-01-2024

उपन्यास

भाग-34 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-34 - godan - munshi premchand

सिलिया का बालक अब दो साल का हो रहा था और सारे गाँव में दौड़ लगाता था । अपने साथ एक विचित्र भाषा लाया था, और उसी में बोलता था, चाहे कोई समझे या न समझे । उसकी भाषा में त, ल और घ की कसरत थी और स

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

17-01-2024

उपन्यास

भाग-33 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-33 - godan - munshi premchand

डॉक्टर मेहता परीक्षक से परीक्षार्थी हो गए हैं । मालती से दूर-दूर रहकर उन्हें ऐसी शंका होने लगी कि उसे खो न बैठें । कई महीनों से मालती उनके पास न आयी थी और जब वह विफल होकर उसके घर गये, तो मुलाकात

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

17-01-2024

उपन्यास

भाग-32 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-32 - godan - munshi premchand

मिर्ज़ा खुर्शेद ने अस्पताल से निकलकर एक नया काम शुरू कर दिया था । निश्चिन्त बैठना उनके स्वभाव में न था । यह काम क्या था? नगर की वेश्याओं की एक नाटक-मण्डली बनाना । अपने अच्छे दिनों में उन्होंने खूब ऐयाशी

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

17-01-2024

उपन्यास

भाग-31 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-31 - godan - munshi premchand

रायसाहब का सितारा बुलन्द था । उनके तीनों मंसूबे पूरे हो गए थे । कन्या की शादी धूम-धाम से हो गई थी, मुकद्दमा जीत गए थे और निर्वाचन में सफल ही न हुए थे, होम मेम्बर भी हो गए थे । चारों ओर से बधाइयाँ

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

17-01-2024

उपन्यास

भाग-30 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-30 - godan - munshi premchand

मिल करीब-करीब पूरी जल चुकी है, लेकिन उसी मिल को फिर से खड़ा करना होगा । मिस्टर खन्ना ने अपनी सारी कोशिशें इसके लिए लगा दी हैं । मज़दूरों की हड़ताल जारी है, मगर अब उससे मिल-मालिकों की कोई विशेष हानि

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

16-01-2024

उपन्यास

भाग-29 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-29 - godan - munshi premchand

नोहरी उन औरतों में न थी, जो नेकी करके दरिया में डाल देती है । उसने नेकी की है, तो उसका खूब ढिंढारा पीटेगी और उससे जितना यश मिल सकता है, उससे कुछ ज़्यादा ही पाने के लिए हाथ-पाँव मारेगी । ऐसे आदमी

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

16-01-2024

उपन्यास

भाग-28 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-28 - godan - munshi premchand

मिस्टर खन्ना को मजूरों की यह हड़ताल बिल्कुल बेजा मालूम होती है । उन्होंने हमेशा जनता के साथ मिले रहने की कोशिश की थी । वह अपने को जनता का ही आदमी समझते थे । पिछले कोसी आन्दोलन में उन्होंने बड़ा

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

15-01-2024

उपन्यास

भाग-27 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-27 - godan - munshi premchand

गोबर को शहर आने पर मालूम हुआ कि जिस अड्डे पर वह अपना खोंचा लेकर बैठता था, वहीं एक दूसरा खोंचे वाला बैठने लगा है और गाहक अब गोबर को भूल गये हैं । वह घर भी उसे पिंजरे-सा लगता था । झुनिया उसमें

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

15-01-2024

उपन्यास

भाग-26 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-26 - godan - munshi premchand

लाला पटेश्वरी पटवारी-समुदाय के सद्गुणों के साक्षात् अवतार थे । वह यह न देख सकते थे कि कोई असामी अपने दूसरे भाई की इंच भर भी जमीन दबा ले । न वह यही देख सकते थे कि असामी किसी महाजन के रुपये

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

14-01-2024

उपन्यास

भाग-25 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-25 - godan - munshi premchand

भोला इधर दूसरी सगाई लाये थे । औरत के बगैर उनका जीवन नीरस था । जब तक झुनिया थी, उन्हें हुक्का – पानी दे देती थी, समय से खाने को बुला ले जाती थी । अब बेचारे अनाथ-से हो गये थे । बहुओं

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

14-01-2024

उपन्यास

भाग-24 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-24 - godan - munshi premchand

सोना सत्रहवें साल में थी और इस साल उसका विवाह करना आवश्यक था । होरी तो दो साल से इसी फिक्र में था पर हाथ खाली होने से कोई काबू न चलता था । मगर इस साल जैसे भी हो, उसका विवाह कर देना ही चाहिए

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

13-01-2024

उपन्यास

भाग-23 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-23 - godan - munshi premchand

गोबर और झुनिया के जाने के बाद घर सुनसान रहने लगा । धनिया को बार-बार मुन्नु की याद आती रहती है । बच्चे की माँ तो झुनिया थी; पर उसका पालन धनिया ही करती थी । वही उसे उबटन मलती, काजल लगाती,

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

13-01-2024

कहानी

मित्र की शिक्षा मानो - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Mitra ki siksha mano - Panchtantra - Vishnu Sharma

एक बार मन्थरक नाम के जुलाहे के सब उपकरण, जो कपड़ा बुनने के काम आते थे, टूट गये। उपकरणों को फिर बनाने के लिये लकड़ी की जरुरत थी। लकड़ी काटने की कुल्हाड़ी लेकर वह समुद्रतट पर स्थित वन

विष्णु शर्मा विष्णु शर्मा

विष्णु शर्मा

11-10-2023

कहानी

वैज्ञानिक मूर्ख - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Vaigyanik Moorakh - Panchtantra - Vishnu Sharma

एक नगर में चार मित्र रहते थे। उनमें से तीन बड़े वैज्ञानिक थे, किंतु बुद्धिरहित थे; चौथा वैज्ञानिक नहीं था, किंतु बुद्धिमान था। चारों ने सोचा कि विद्या का लाभ तभी हो सकता है, यदि वे विदेशों

विष्णु शर्मा विष्णु शर्मा

विष्णु शर्मा

11-10-2023

कहानी

शेखचिल्ली न बनो - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Shekhchlli na bano - Panchtantra - Vishnu Sharma

एक नगर में कोई कंजूस ब्राह्मण रहता था। उसने भिक्षा से प्राप्त सत्तुओं में से थोड़े से खाकर शेष से एक घड़ा भर लिया था। उस घड़े को उसने रस्सी से बांधकर खूंटी पर लटका दिया और उसके नीचे

विष्णु शर्मा विष्णु शर्मा

विष्णु शर्मा

11-10-2023

कहानी

संगीतविशारद गधा - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Sangeetvisharad Gadha - Panchtantra - Vishnu Sharma

एक गांव में उद्धत नाम का गधा रहता था। दिन में धोबी का भार ढोने के बाद रात को वह स्वेच्छा से खेतों में घूमा करता था। सुबह होनो पर वह स्वयं धोबी के पास आ जाता था। रात को खेतों में घूमते

विष्णु शर्मा विष्णु शर्मा

विष्णु शर्मा

11-10-2023

कहानी

पञ्चम तंत्र - अपरीक्षितकारकम् - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Pauncham Tantra - Apreekshitkarkam - Panchtantra - Vishnu Sharma

दक्षिण प्रदेश के एक प्रसिद्ध नगर पाटलिपुत्र में मणिभद्र नाम का एक धनिक महाजन रहता था। लोक-सेवा और धर्मकार्यों में रत रहने से उसके धन-संचय में कुछ कमी आ गई, समाज में मान घट गया। इससे

विष्णु शर्मा विष्णु शर्मा

विष्णु शर्मा

11-10-2023

कहानी

मिलकर काम करो - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Milkar kaam karo - Panchtantra - Vishnu Sharma

एक तालाब में भारण्ड नाम का एक विचित्र पक्षी रहता था। इसके मुख दो थे, किन्तु पेट एक ही था। एक दिन समुद्र के किनारे घूमते हुए उसे एक अमृतसमान मधुर फल मिला। यह फल समुद्र की लहरों ने

विष्णु शर्मा विष्णु शर्मा

विष्णु शर्मा

11-10-2023

कहानी

मार्ग का साथी - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Marg ka sathi - Panchtantra - Vishnu Sharma

एक दिन ब्रह्मदत्त नाम का एक ब्राह्मण अपने गांव से प्रस्थान करने लगा। उसकी माता ने कहा- “पुत्र! कोई न कोई साथी रास्ते के लिये खोज लो। अकेले यात्रा नहीं करनी चाहिये।” ब्रह्मदत्त ने उत्तर दिया- “डरो मत मां! इस मार्ग

विष्णु शर्मा विष्णु शर्मा

विष्णु शर्मा

11-10-2023

कहानी

लोभ बुद्धि पर परदा डाल देता है - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Lobh buddhi par parda dal deta hai - Panchtantra - Vishnu Sharma

एक नगर के राजा चन्द्र के पुत्रों को बन्दरों से खेलने का व्यसन था। बन्दरों का सरदार भी बड़ा चतुर था। वह सब बन्दरों को नीतिशास्त्र पढ़ाया करता था। सब बन्दर उसकी आज्ञा का पालन करते थे। राजपुत्र भी उन बन्दरों

विष्णु शर्मा विष्णु शर्मा

विष्णु शर्मा

10-10-2023

कहानी

लालच बुरी बला है - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Lalach buri bla hai - Panchtantra - Vishnu Sharma

एक नगर में चार ब्राह्मण पुत्र रहते थे। चारों में गहरी मैत्री थी। चारों ही निर्धन थे। निर्धनता को दूर करने के लिए चारों चिंतित थे। उन्होंने अनुभव कर लिया था कि अपने बंधु-बांधवों में धनहीन जीवन व्यतीत करने की

विष्णु शर्मा विष्णु शर्मा

विष्णु शर्मा

10-10-2023

कहानी

एकबुद्धि की कथा - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Ekbuddhi ki katha - Panchtantra - Vishnu Sharma

एक तालाब में दो मछलियाँ रहती थीं। एक थी शतबुद्धि (सौ बुद्धियों वाली), दूसरी थी सहस्त्रबुद्धि (हजार बुद्धियों वाली)। उसी तालाब में एक मेंढक भी रहता था। उसका नाम था एकबुद्धि। उसके पास एक ही

विष्णु शर्मा विष्णु शर्मा

विष्णु शर्मा

10-10-2023

कहानी

जिज्ञासु बनो - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Jigyashu Bano - Panchtantra - Vishnu Sharma

किसी जंगली प्रदेश में चंडकर्मा नाम का एक राक्षस रहता था। जंगल में घूमते-घूमते उसके हाथ एक दिन एक ब्राह्मण आ गया। वह राक्षस ब्राह्मण के कंधे पर बैछ गया। ब्राह्मण

विष्णु शर्मा विष्णु शर्मा

विष्णु शर्मा

10-10-2023

कहानी

बिना विचारे जो करे - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Bina vichare jo kare - Panchtantra - Vishnu Sharma

एक बार देवशर्मा नाम के ब्राह्मण के घर जिस दिन पुत्र का जन्म हुआ उसी दिन उसके घर में रहने वाली नकुली ने भी एक नेवले को जन्म दिया। देवशर्मा की पत्‍नी बहुत दयालु स्वभाव की स्त्री थी। उसने उस छोटे

विष्णु शर्मा विष्णु शर्मा

विष्णु शर्मा

10-10-2023

कहानी

चार मूर्ख पंडित - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Char Moorakh Pandit - Panchtantra - Vishnu Sharma

एक स्थान पर चार ब्राह्मण रहते थे। चारों विद्याभ्यास के लिये कान्यकुब्ज गये। निरन्तर १२ वर्ष तक विद्या पढ़ने के बाद वे सम्पूर्ण शास्त्रों के पारंगत विद्वान हो गये,

विष्णु शर्मा विष्णु शर्मा

विष्णु शर्मा

10-10-2023

कहानी

भय का भूत - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Bhay ka Bhoot - Panchtantra - Vishnu Sharma

एक नगर में भद्रसेन नाम का राजा रहता था। उसकी कन्या रत्‍नवती बहुत रूपवती थी। उसे हर समय यही डर रहता था कि कोई राक्षस उसका अपहरण न करले। उसके महल के चारों ओर पहरा रहता था, फिर

विष्णु शर्मा विष्णु शर्मा

विष्णु शर्मा

10-10-2023

कहानी

अंधा, कुबड़ा और विकृत शरीर - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Andha, Kubda aur Vikrat Sharir - Panchtantra - Vishnu Sharma

उत्तरी प्रदेश में मधुपुर नाम का एक नगर है। वहाँ मधुसेन नाम का एक राजा था। विषय सुख भोगने वाले उस राजा मधुसेन के घर एक तीन स्तनों वाली कन्या ने जन्म लिया। तीन स्तनों वाली कन्या की उत्पत्ति

विष्णु शर्मा विष्णु शर्मा

विष्णु शर्मा

10-10-2023
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