बिना विचारे जो करे - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Bina vichare jo kare - Panchtantra - Vishnu Sharma by विष्णु शर्मा

बिना विचारे जो करे

अपरीक्ष्य न कर्त्तव्यं कर्त्तव्यं सुपरीक्षितम् ।

पश्चात् भवति संतापो ब्राह्मण्या नकुलार्थतः ।।

अपरीक्षित काम का परिणाम बुरा होता है

एक बार देवशर्मा नाम के ब्राह्मण के घर जिस दिन पुत्र का जन्म हुआ उसी दिन उसके घर में रहने वाली नकुली ने भी एक नेवले को जन्म दिया। देवशर्मा की पत्‍नी बहुत दयालु स्वभाव की स्त्री थी। उसने उस छोटे नेवले को भी अपने पुत्र के समान ही पाल-पोसा और बड़ा किया। वह नेवला सदा उसके पुत्र के साथ खेलता था। दोनों में बड़ा प्रेम था। देवशर्मा की पत्‍नी भी दोनों के प्रेम को देखकर प्रसन्न थी। किन्तु, उसके मन में यह शंका हमेशा रहती थी कि कभी यह नेवला उसके पुत्र को न काट खाये। पशु के बुद्धि नहीं होती, मूर्खतावश वह कोई भी अनिष्ट कर सकता है।
एक दिन उसकी इस आशंका का बुरा परिणाम निकल आया। उस दिन देवशर्मा की पत्‍नी अपने पुत्र को एक वृक्ष की छाया में सुलाकर स्वयं पास के जलाशय से पानी भरने गई थी। जाते हुए वह अपने पति देवशर्मा से कह गई थी कि वहीं ठहर कर वह पुत्र की देख-रेख करे, कहीं ऐसा न हो कि नेवला उसे काट खाये। पत्‍नी के जाने के बाद देवशर्मा ने सोचा, 'नेवले और बच्चे में गहरी मैत्री है, नेवला बच्चे को हानि नहीं पहुँचायेगा।' यह सोचकर वह अपने सोये हुए बच्चे और नेवले को वृक्ष की छाया में छोड़कर स्वयं भिक्षा के लोभ से कहीं चल पड़ा ।
दैववश उसी समय एक काला नाग पास के बिल से बाहिर निकला। नेवले ने उसे देख लिया। उसे डर हुआ कि कहीं यह उसके मित्र को न डस ले, इसलिये वह काले नाग पर टूट पड़ा, और स्वयं बहुत क्षत-विक्षत होते हुए भी उसने नाग के खंड-खंड कर दिये। सांप को मारने के बाद वह उसी दिशा में चल पड़ा, जिधर देवशर्मा की पत्‍नी पानी भरने गई थी। उसने सोचा कि वह उसकी वीरता की प्रशंसा करेगी, किन्तु हुआ इसके विपरीत। उसकी खून से सनी देह को देखकर ब्राह्मण पत्‍नी का मन उन्हीं पुरानी आशंकाओं से भर गया कि कहीं इसने उसके पुत्र की हत्या न कर दी हो। यह विचार आते ही उसने क्रोध से सिर पर उठाये घड़े को नेवले पर फैंक दिया । छोटा सा नेवला जल से भारी घड़े की चोट खाकर वहीं मर गया। ब्राह्मण-पत्‍नी वहाँ से भागती हुई वृक्ष के नीचे पहुँची। वहाँ पहुँचकर उसने देखा कि उसका पुत्र बड़ी शान्ति से सो रहा है, और उससे कुछ दूरी पर एक काले साँप का शरीर खँड-खँड हुआ पड़ा है। तब उसे नेवले की वीरता का ज्ञान हुआ। पश्चात्ताप से उसकी छाती फटने लगी।
इसी बीच ब्राह्मण देवशर्मा भी वहाँ आ गया। वहाँ आकर उसने अपनी पत्‍नी को विलाप करते देखा तो उसका मन भी सशंकित हो गया। किन्तु पुत्र को कुशलपूर्वक सोते देख उसका मन शान्त हुआ। पत्‍नी ने अपने पति देवशर्मा को रोते-रोते नेवले की मृत्यु का समाचार सुनाया और कहा- "मैं तुम्हें यहीं ठहर कर बच्चे की देख-भाल के लिये कह गई थी। तुमने भिक्षा के लोभ से मेरा कहना नहीं माना। इसी से यह परिणाम हुआ। मनुष्य को अतिलोभ नहीं करना चाहिये। अतिलेभ से कई बार मनुष्य के मस्तक पर चक्र लग जाता है।”
ब्राह्मण ने पूछा- “यह कैसे?”
ब्राह्मणी ने तब निम्न कथा सुनाई-

सीख:

बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताय ।

You might also like

मित्र की शिक्षा मानो - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Mitra ki siksha mano - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Oct 11, 2023

वैज्ञानिक मूर्ख - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Vaigyanik Moorakh - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Oct 11, 2023

शेखचिल्ली न बनो - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Shekhchlli na bano - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Oct 11, 2023

संगीतविशारद गधा - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Sangeetvisharad Gadha - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Oct 11, 2023

पञ्चम तंत्र - अपरीक्षितकारकम् - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Pauncham Tantra - Apreekshitkarkam - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Oct 11, 2023

मिलकर काम करो - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Milkar kaam karo - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Oct 11, 2023

मार्ग का साथी - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Marg ka sathi - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Oct 11, 2023

लोभ बुद्धि पर परदा डाल देता है - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Lobh buddhi par parda dal deta hai - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Oct 10, 2023

लालच बुरी बला है - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Lalach buri bla hai - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Oct 10, 2023

एकबुद्धि की कथा - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Ekbuddhi ki katha - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Oct 10, 2023

जिज्ञासु बनो - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Jigyashu Bano - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Oct 10, 2023

चार मूर्ख पंडित - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Char Moorakh Pandit - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Oct 10, 2023

भय का भूत - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Bhay ka Bhoot - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Oct 10, 2023

अंधा, कुबड़ा और विकृत शरीर - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Andha, Kubda aur Vikrat Sharir - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Oct 10, 2023

उड़ती के पीछे भागना - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Udti ke pichhe bhagna - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Mar 21, 2023

द्वितीय तंत्र - मित्रसंप्राप्ति - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Dvitya tantra - Mitrasamprapti - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Mar 21, 2023

कर्महीन नर पावत नाहिं - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Karmheen nar pavat naahin - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Mar 21, 2023

बिना कारण कार्य नहीं - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Bina karan kerya nahi - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Mar 21, 2023

धन सब क्लेशों की जड़ है - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Dhan sab kleshon ki jad - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Mar 21, 2023

अति लोभ नाश का मूल - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Ati lobh nash ka mool - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Mar 21, 2023

बगुला भगत - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Bagula Bhagat - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Mar 2, 2023

कथामुख- पंचतंत्र की कहानियाँ - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Kathamukh - Panchtantra ki kahaniyan - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Mar 1, 2023

अक्ल बड़ी या भैंस - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Akal badi ya Bhais - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Feb 28, 2023

अनधिकार चेष्टा - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Andhikar cheshta - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Feb 28, 2023