बगुला भगत - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Bagula Bhagat - Panchtantra - Vishnu Sharma by विष्णु शर्मा

बगुला भगत

उपायेन जयो यादृग्रिपोस्तादृङ् न हेतिभि।

उपाय से शत्रु को जीतो, हथियारों से नहीं।

एक जंगल में बहुत-सी मछलियों से भरा एक तालाब था। एक बगुला वहाँ प्रति-दिन मछलियों को खाने के लिये आता था, किंतु वृद्ध होने के कारण मछलियों को पकड़ नहीं पाता था। इस तरह भूख से व्याकुल हुआ-हुआ वह एक दिन अपने बुढ़ापे पर रो रहा था कि एक केकड़ा उधर आया। उसने बगुले को निरंतर आँसू बहाते देखा तो कहा- “मामा! आज तुम पहिले की तरह आनंद से भोजन नहीं कर रहे और आँखों से आँसू बहाते हुए बैठे हो; इसका क्या कारण है?”

बगुले ने कहा- “मित्र! तुम ठीक कहते हो। मुझे मछलियों को भोजन बनाने से विरक्ति हो चुकी है। आज-कल अनशन कर रहा हूँ। इसी से मैं पास में आई मछलियों को भी नहीं पकड़ता।”

कुकड़े ने यह सुनकर पूछा- “मामा! इस वैराग्य का कारण क्या है?”

बगुला- “मित्र! बात यह है कि मैंने इस तालाब में जन्म लिया, बचपन से यहीं रहा हूँ और यहीं मेरी उम्र गुजरी है। इस तालाब और तालाब-वासियों से मेरा प्रेम है। किंतु मैंने सुना है कि अब बड़ा भारी अकाल पड़ने वाला है। 12 वर्षों तक वृष्टि नहीं होगी।”

केकड़ा- “किससे सुना है?”

बगुला- “एक ज्योतिषी से सुना है। यह शनिश्चर जब शकटाकार रोहिणी तारकमण्डल को खंडित करके शुक्र के साथ एक राशि में जायगा, तब 12 वर्ष तक वर्षा नहीं होगी। पृथ्वी पर पाप फैल जायगा। माता-पिता अपनी संतान का भक्षण करने लगेंगे। इस तालाब में पहले ही पानी कम है। यह बहुत जल्दी सूख जायेगा। इसके सूखने पर मेरे सब बचपन के साथी, जिनके बीच मैं इतना बड़ा हुआ हूँ, मर जायेंगे। उनके वियोग-दुःख की कल्पना से ही मैं इतना रो रहा हूँ और इसीलिए मैंने अनशन किया है। दूसरे जलाशयों के सभी जल-चर अपने छोटे-छोटे तालाव छोड़कर बड़ी-बड़ी झीलों में चले जा रहे हैं। बड़े-बड़े जलचर तो स्वयं ही चले जाते हैं, छोटों के लिए ही कठिनाई है। दुर्भाग्य से इस जलाश्य के जलचर बिल्कुल निश्चिंत बैठे हैं- मानो, कुछ होने वाला ही नहीं है। उनके लिए ही मैं रो रहा हूँ; उनका वंशनाश हो जायेगा।”

केकड़े ने बगुले के मुख से यह बात सुनकर अन्य सब मछलियों को भी भावी दुर्घटना की सूचना दे दी। सूचना पाकर जलाशय के सभी जलचरों- मछलियों, कछुए आदि ने बगुले को घेरकर पुछना शुरू कर दिया- “मामा! क्या किसी उपाय से हमारी रक्षा हो सकती है?”

बगुला बोला- “यहाँ से थीड़ी दूर पर एर प्रचुर चल से भरा जलाशय है। वह इतना बड़ा है कि 24 वर्ष सूखा पड़ने पर भी न सूखे। तुम मेरी पीठ पर चढ़ जाओगे तो तुम्हें वहाँ ले चलूंगा।”

यह सुनकर सभी मछलियों, कछुओं और अन्य जलजीवों ने बगुले को भाई, मामा, चाचा पुकारते हुए चारों ओर से घेर लिया और चिल्लाना शुरू कर दिया- ‘पहले मुझे’, ‘पहले मुझे’।

वह दुष्ट भी सब को बारी-बारी अपनी पीठ पर बिठाकर जलाशय से कुछ दूर ले जाता और वहाँ एक शिला पर उन्हें पटक-पटक कर मार देता था। दूसरे दिन उन्हें खाकर वह फिर जलाशय में आ जाता और नये शिकार ले जाता। कुछ दिन बाद केकड़े ने बगुले से कहा- “मामा! मेरी तुम से पहले-भेंट हुई थी, फिर भी आज तक तुम मुझे नहीं ले गये। अब प्रायः सभी नये जलाशय तक पहुँच चुके हैं; आज मेरा भी उद्धार कर दो।”

केकड़े की बात सुनकर बगुले ने सोचा, “मछलियाँ खाते-खाते मेरा मन भी अब ऊब गया है। केकड़े का मांस चटनी का काम देगा। आज इसका ही आहार करूँगा।”

यह सोचकर उसने केकड़े को गर्दन पर बिठा लिया और वध-स्थान की ओर ले चला।

केकड़े ने दूर से ही जब एक शिला पर मछलियों की हड्डियों का पहाड़ सा लगा देखा तो वह समझ गया कि यह बगुला किस अभिप्राय से मछलियों को यहाँ लाता था। फिर भी वह असली बात को छिपाकर प्रगट में बोला- “मामा! वह जलाशय अब कितनी दूर रह गया है? मेरे भार से तुम इतना थक गये होगे, इसीलिए पूछ रहा हूँ।”

बगुले ने सोचा, अब इसे सच्ची बात कह देने में भी कोई हानि नहीं है; इसलिए वह बोला- “केकड़े साहब! दूसरे जलाशय की बात अब भूल जाओ। यह तो मेरी प्राणयात्रा चल रही थी। अब तेरा भी काल आ गया है। अंतिम समय में देवता का स्मरण कर ले। इसी शिला पर पटक कर तुझे भी मार डालूंगा और खा जाऊँगा।”

बगुला अभी यह बात कह ही रहा था कि केकड़े ने अपने दीखे दांत बगुला की नरम, मुलायम गरदन पर गाड़ दिये। बगुला वहीं मर गया। उसकी गरदन कट गई।

केकड़ा मृत बगुले की गरदन लेकर धीरे-धीरे अपने पुराने जलाशय पर ही आ गया। उसे देखकर उसके भाई-बंदों ने उसे घेर लिया और पूछने लगे- “क्या बात है? आज मामा नहीं आए? हम सब उनके साथ नए जलाशय पर जाने को तैयार बैठे हैं।”

केकड़े ने हँसकर उत्तर दिया- “मूर्खों! उस बगुले ने सभी मछलियों को यहाँ से ले जाकर एक शिला पर पटक कर मार दिया है।” यह कहकर उसने अपने पास से बगुले की कटी हुई गरदन दिखाई और कहा- “अब चिंता की कोई बात नहीं है, तुम सब यहाँ आनंद से रहोगे।”

X X X

गीदड़ ने जब यह कथा सुनाई तो कौवे ने पूछा- “मित्र! उस बगुले की तरह यह साँप भी किसी तरह मर सकता है?”

गीदड़- “एक काम करो। तुम नगर के राजमहल में चले जाओ। वहाँ से रानी का कंठहार उठाकर साँप के बिल के पास रख दो। राजा के सैनिक कण्ठहार की खोज में आयेंगे और साँप को मार देंगे।”

दूसरे ही दिन कौवी राजमहल के अन्तःपुर में जाकर एक कण्ठहार उठा लाई। राजा ने सिपाहियों को उस कौवी का पीछा करने का आदेश दिया। कौवी ने वह कण्ठहार साँप के बिल के पास रख दिया। साँप ने उस हार को देखकर उस पर अपना फन फैला दिया था। सिपाहियों ने साँप को लाठियों से मार दिया और कण्ठहार ले लिया।

उस दिन के बाद कौवा-कौवी की सन्तान को किसी साँप ने नहीं खाया। तभी मैं कहता हूँ कि उपाय से ही शत्रु को वश में करना चाहिये।

X X X

दमनक ने फिर कहा- “सच तो यह है कि बुद्धि का स्थान बल से बहुत ऊँचा है। जिसके पास बुद्धि है, वही बली है। बुद्धिहीन का बल भी व्यर्थ है। बुद्धिमान निर्बुद्धि को उसी तरह हरा देते हैं जैसे खरगोश ने शेर को हरा दिया था।

करटक ने पूछा- “कैसे?”

दमनक ने तब ‘शेर-खरगोश की कथा’ सुनाई-

You might also like

मित्र की शिक्षा मानो - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Mitra ki siksha mano - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Oct 11, 2023

वैज्ञानिक मूर्ख - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Vaigyanik Moorakh - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Oct 11, 2023

शेखचिल्ली न बनो - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Shekhchlli na bano - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Oct 11, 2023

संगीतविशारद गधा - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Sangeetvisharad Gadha - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Oct 11, 2023

पञ्चम तंत्र - अपरीक्षितकारकम् - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Pauncham Tantra - Apreekshitkarkam - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Oct 11, 2023

मिलकर काम करो - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Milkar kaam karo - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Oct 11, 2023

मार्ग का साथी - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Marg ka sathi - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Oct 11, 2023

लोभ बुद्धि पर परदा डाल देता है - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Lobh buddhi par parda dal deta hai - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Oct 10, 2023

लालच बुरी बला है - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Lalach buri bla hai - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Oct 10, 2023

एकबुद्धि की कथा - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Ekbuddhi ki katha - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Oct 10, 2023

जिज्ञासु बनो - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Jigyashu Bano - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Oct 10, 2023

बिना विचारे जो करे - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Bina vichare jo kare - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Oct 10, 2023

चार मूर्ख पंडित - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Char Moorakh Pandit - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Oct 10, 2023

भय का भूत - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Bhay ka Bhoot - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Oct 10, 2023

अंधा, कुबड़ा और विकृत शरीर - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Andha, Kubda aur Vikrat Sharir - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Oct 10, 2023

उड़ती के पीछे भागना - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Udti ke pichhe bhagna - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Mar 21, 2023

द्वितीय तंत्र - मित्रसंप्राप्ति - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Dvitya tantra - Mitrasamprapti - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Mar 21, 2023

कर्महीन नर पावत नाहिं - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Karmheen nar pavat naahin - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Mar 21, 2023

बिना कारण कार्य नहीं - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Bina karan kerya nahi - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Mar 21, 2023

धन सब क्लेशों की जड़ है - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Dhan sab kleshon ki jad - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Mar 21, 2023

अति लोभ नाश का मूल - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Ati lobh nash ka mool - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Mar 21, 2023

कथामुख- पंचतंत्र की कहानियाँ - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Kathamukh - Panchtantra ki kahaniyan - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Mar 1, 2023

अक्ल बड़ी या भैंस - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Akal badi ya Bhais - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Feb 28, 2023

अनधिकार चेष्टा - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Andhikar cheshta - Panchtantra - Vishnu Sharma

By विष्णु शर्मा · Feb 28, 2023