बिना कारण कार्य नहीं - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Bina karan kerya nahi - Panchtantra - Vishnu Sharma by विष्णु शर्मा

बिना कारण कार्य नहीं - पंचतंत्र - विष्णु शर्मा | Bina karan kerya nahi - Panchtantra - Vishnu Sharma

बिना कारण कार्य नहीं

“हेतुरत्रभविष्यति”

हर काम के कारण की खोज करो, अकारण कुछ भी नहीं हो सकता।

एक बार मैं चौमासे में एक ब्राह्मण के घर गया था। वहाँ रहते हुए एक दिन मैंने सुना कि ब्राह्मण और ब्राह्मण-पत्नी में यह बात हो रही थी-
ब्राह्मण- "कल सुबह कर्क-संक्रान्ति है, भिक्षा के लिए मैं दूसरे गाँव जाऊँगा । वहाँ एक ब्राह्मण सूर्यदेव की तृप्ति के लिए कुछ दान करना चाहता है।"
पत्‍नी- "तुझे तो भोजन योग्य अन्न कमाना भी नहीं आता । तेरी प‍त्‍नी होकर मैंने कभी सुख नहीं भोगा, मिष्टान्न नहीं खाए, वस्त्र और आभूषणों को तो बात ही क्या कहनी?"
ब्राह्मण- "देवी ! तुम्हें ऐसा नहीं कहना चाहिए । अपनी इच्छा के अनुरूप धन किसी को नहीं मिलता । पेट भरने योग्य अन्न तो मैं भी ले ही आता हूँ । इससे अधिक की तृष्णा का त्याग कर दो । अति तृष्णा के चक्कर में मनुष्य के माथे पर शिखा हो जाती है ।"
ब्राह्मणी ने पूछा- "यह कैसे?"
तब ब्राह्मण ने सूअर- शिकारी और गीदड़ की यह कथा सुनाई-