ब्रम्चारिणी माँ की आरती | Bramcharini maa ki aarti by आकाश

ब्रम्चारिणी माँ की आरती | Bramcharini maa ki aarti

।। ब्रम्चारिणी माँ की आरती ।।

जय ब्रम्चारिणी माँ, मैया जय ब्रम्चारिणी माँ ।
अपने भक्त जानो पर, करती सदा दया ।। (जय ………..)
दर्शन अनुपम मधुरं, साधना रत रहती ।
शिव जी की आरधना, मैया सदा करती ।। (जय ………..)
बाहिने हाथ कमंडल, दाहिने में माला ।
रूप जो त्रिमय अद्भुत, सुख देने वाला ।। (जय ………..)
देवऋषि मुनि साधु, गुण माँ के गाते ।
शक्ति स्वरूपा मैया, सबकुछ तुझको ध्याते ।। (जय ………..)
संजम तब वैराग्य, प्राणी वो पाता ।
ब्रम्चारिणी माँ को, निशिदिन जो ध्याता ।। (जय ………..)
नवदुर्गाओं में मैया, दूजा तुम्हारा स्वरूप ।
स्वेत वस्त्र धारिणी माँ, ज्योतिर्मय तेरा रूप ।। (जय ………..)
दूजे नवरात्रे मैया, जो तेरा व्रत धरे ।
करके दया जगजननी, तू उसको तारे ।। (जय ………..)
शिव प्रिय शिवा ब्राह्मणी, हमपे दया करियो ।
बालक है तेरे ही, दया दृष्टि रखियो ।। (जय ………..)
शरण तिहारी आये, ब्रम्हाणी माता ।
करुणा हमपे दिखाओ, शुभ फल की दाता ।। (जय ………..)
माँ ब्रम्चारिणी की आरती, जो कोई गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे ।। (जय ………..)
जय ब्रम्चारिणी माँ, मैया जय ब्रम्चारिणी माँ ।
अपने भक्त जानो पर, करती सदा दया ।। (जय ………..)