कपटी बाज | Kapti baj by आकाश

कपटी बाज | Kapti baj

कपटी बाज

एक बाज एक पेड़ की डाली पर अपना घोंसला बनाकर अपने बच्चों के साथ रहता था। उसी पेड़ की खोह में एक लोमड़ी भी अपने बच्चों के साथ रहती थी। एक दिन, जब लोमड़ी अपनी खोह से खाने की तलाश में बाहर निकली तो बाज उसमे घुस गया और अपने बच्चों को खिलाने के लिए लोमड़ी के बच्चों को उठाकर ले गया। जब लोमड़ी लौटी तो खोह में अपने बच्चों को ना पाकर बहुत दुखी हुई और इधर उधर तलाशने लगी। तभी उसे कहीं से अपने बच्चों की आवाजें सुनाई दी। उसने पेड़ के पास जाकर ध्यान से सुना तो वो आवाज पेड़ की डाली पर बने घोंसले से आ रही थी। लोमड़ी को सब समझ में आ गया। उसने बाज से अनुरोध किया की उसके बच्चों को लौटा दे। पर बाज ने उसकी एक न सुनी, क्यूंकि बाज को पता था की लोमड़ी उसकी डाली तक नहीं पहुँच सकती।
लोमड़ी को जब लगा की बाज उसकी बात पर ध्यान नहीं दे रहा है तो उसने अपना दिमाग चलाया। वो बगल वाले मंदिर में गयी और एक जलती हुई लकड़ी उठाकर ले आयी और पेड़ के निचे आग लगा दी। आग की गर्मी और घुएँ से बाज डर गया। अपने बच्चो की जान बचाने के लिए वो लोमड़ी के पास गया और उसके बच्चे लौटा दिए।


सीख:

निर्दयी व्यक्ति जिसका दमन करता है, उसे हमेशा उनसे खतरा रहता है।