![खट्टे अंगूर | Khatte angoor by आकाश](https://www.kahanipuram.com/static/images/anya-prernadayak-kahaniyan/khatte-angur.jpg)
खट्टे अंगूर | Khatte angoor
खट्टे अंगूर
किसी वन में एक भूखी लोमड़ी खाने की तलाश में इधर-उधर भटक रही थी। बहुत दिनों से भूखी होने के कारण उसको भोजन की बहुत जरूरत थी। वह इधर-उधर भटकते हुए वन में ही दूर तक आ पहुंची मगर फिर भी उसे खाने के लिए कुछ न मिला। इतनी दूर आने के बाद वह थोड़ा और आगे तक चलने लगी और उसे बेल पर लटके हुए अंगूर दिखाई दिए। अंगूर के गुच्छे को देखते ही उसके मुंह में पानी की बाढ़-सी आ गई। वह अंगूर के गुच्छों को देखते ही कहने लगी कि अब इन्हें मेरे अलावा कोई और नहीं खा पाएगा।
वह तेजी से अंगूर की बेल की ओर पहुंची और अंगूर के गुच्छों तक पहुंचने के लिए उछलने लगी। वह बहुत देर तक कोशिश करती रही मगर अंगूर का एक गुच्छा तो क्या उसके हाथ एक अंगूर तक ना आया। वह कभी किसी और तरीके से कूदती तो कभी किसी और तरीके से, मगर हमेशा ही वह नाकामयाब रही।
जब वह प्रयास कर-कर के थक गई तो उसे समझ में आ गया कि अब और प्रयास करना बेकार है। वह अपने आप से बोली- “अरे! मुझे नहीं चाहिए ये अंगूर। ये तो खट्ठे हैं।”
लोमड़ी का व्यवहार यह दिखाता है कि जब किसी को कोई चीज नहीं मिलती, तो वह उसमें कमियाँ निकालने लगता है।