
शुगर की दवाई हुई बहुत सस्ती । Sugar ki dwayi hui bhut sasti ।।
हाल ही के चार-पांच वर्षों के अंदर मुख्य एंटी-डायबिटिक और दिल संबंधी दवाओं का पेटेंट समाप्ति के बाद सैंकड़ों जेनेरिक ब्रांड मार्केट में आ गए हैं। इन जेनेरिक ब्रांडों ने न केवल दवाओं के सस्ता बनाया है बल्कि रोगियों तक उनकी पहुंच भी बड़ाई है। जिससे इन दवाईयों की बिक्री में इज़ाफा भी हुआ है।
फार्मारैक नामक एक शोध कंपनी ने एक विश्लेषण भी जारी किया है, जिस से यह पता चलता है कि दिसंबल 2019 में NOVARTIS (नोवार्टिस) कंपनी के पेटेंट समाप्ति के बाद अब दबाईओं के बाजार में 226 विल्डेग्लिप्टिन (एंटी-डायबिटिक) ब्रांड उपलब्ध हैं। और इसी प्रकार अक्टुबर 2020 में पेटेंट खत्म होने के बाद भारतीय बाजार में डैपाग्लिफ्लोजिन के 200 ब्रांड पहले ही आ चुके हैं। डैपाग्लिफ्लोजिन कि खोज ब्रिस्टल मायर्स स्क्विब ने की थी और इसे एस्ट्राजेनेका के साथ साझेदारी में विकसित किया गया था।
दुनिया भर में डायबिटिज़ से ग्रसित लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है। भारत में भी इसके मामले लागतार सामने आ रहे है। अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह महासंघ के मुताबिक, भारत में लगभग 10 करोड़ लोग डायबिटिज़ से पीड़ित है। डायबिटिज टाइप-2 में एम्पाग्लिफ्लोजिन नाम की दवा का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। ये दवा इस बीमारी कि काफी कारगर भी साबित हुई है, लेकिन इसे बनाने वाली जर्मन कंपंनी का पेटेंट 11 मार्च को खत्म हो रहा है। ऐसे में जल्दी ही कम कीमत में इस दवाई को लॉन्च किया जाएगा। कम कीमतों की वजह से अधिकतर रोगियों तक इस दवा कि सुविधा पहुंच सकेगी। इस दवा को लॉन्च करने वाली नई कंपनी में मैन्काइंड फार्मा, टोरेंट, अलकेम, डॉ रेड्डीज और ल्युपिन शामिल है।
अब इतने में मिलेगी गोली।
बाजार में हिस्सेदारी के हिसाब से भारत की चौथी सबसे बड़ी कंपनी मैन्काइंड फार्मा नें एम्पाग्लिफलोजिन को इनोवेटर की 60 रुपये प्रति गोली की कीमत के दसवें हिस्से पर पेश करने का प्लान बनाया है। अधिकतर जेनेरिक संस्करणों की कीमत 9-14 रुपये प्रति टैबलेट रखी गई है। 20,000 करोड़ रुपये के डायबिटिज थैरेपी मार्केट में थोड़ी सी बाधाएं आंएगी। ये 2021 में 14,000 करोड़ रुपये से 43 प्रतिशत अधिक है।