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उपन्यास

भाग-23 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-23 - godan - munshi premchand

गोबर और झुनिया के जाने के बाद घर सुनसान रहने लगा । धनिया को बार-बार मुन्नु की याद आती रहती है । बच्चे की माँ तो झुनिया थी; पर उसका पालन धनिया ही करती थी । वही उसे उबटन मलती, काजल लगाती,

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मुंशी प्रेमचंद

2023-04-09

उपन्यास

भाग-22 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-22 - godan - munshi premchand

इधर कुछ दिनों से रायसाहब की कन्या के विवाह की बातचीत हो रही थी । उसके साथ ही एलेक्शन भी सिर पर आ पहुँचा था; मगर इन सबों से आवश्यक उन्हें दीवानी में एक मुकदमा दायर करना था, जिसकी कोर्ट-

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मुंशी प्रेमचंद

2023-04-08

उपन्यास

भाग-21 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-21 - godan - munshi premchand

देहातों में साल के छः महीने किसी-न-किसी उत्सव में ढोल-मजीरा बजता रहता है । होली के एक महीना पहले से एक महीना बाद तक फाग उड़ती है; आषाढ़ लगते ही आल्हा शुरू हो जाता है और सावन-भादों में कजलियाँ

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मुंशी प्रेमचंद

2023-04-08

उपन्यास

भाग-20 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-20 - godan - munshi premchand

फागुन अपनी झोली में नवजीवन की विभूति लेकर आ पहुंचा था । आम के पेड़ दोनों हाथों से बौर के सुगन्ध बाँट रहे थे और कोयल आम की डालियों में छिपी हुई संगीत का गुप्त दान कर रही थी ।

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मुंशी प्रेमचंद

2023-04-07

उपन्यास

भाग-19 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-19 - godan - munshi premchand

मिर्ज़ा खुर्शेद का हाता क्लब भी है, कचहरी भी, अखाड़ा भी । दिन भर जमघट लगा रहता है । मुहल्ले में अखाड़े के लिए कहीं जगह नहीं मिलती थी । मिर्ज़ा ने एक छप्पर डलवाकर अखाड़ा बनवा दिया है; वहाँ नित्य सौ

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मुंशी प्रेमचंद

2023-04-07

उपन्यास

भाग-18 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-18 - godan - munshi premchand

होरी की फसल सारी-की-सारी डाँड़ की भेंट हो चुकी थी । बैशाख तो किसी तरह कटा, मगर जेठ लगते-लगते घर में अनाज का एक दाना न रहा । पाँच-पाँच पेट खाने वाले और घर में अनाज नदारद । दोनों जून न मिले,

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मुंशी प्रेमचंद

2023-04-06

उपन्यास

भाग-17 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-17 - godan - munshi premchand

होरी की फसल सारी-की-सारी डाँड़ की भेंट हो चुकी थी । बैशाख तो किसी तरह कटा, मगर जेठ लगते-लगते घर में अनाज का एक दाना न रहा । पाँच-पाँच पेट खाने वाले और घर में अनाज नदारद । दोनों जून न मिले,

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2023-04-06

उपन्यास

भाग-16 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-16 - godan - munshi premchand

राय साहब को जब ख़बर मिली कि इलाके में एक वारदात हो गयी और होरी से गाँव के पंचों ने जुरमाना वसूल कर लिया है, तो फौरन नोखेराम को बुलाकर जवाब-तलब किया- क्यों उन्हें इसकी इत्तला नहीं दी गयी

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मुंशी प्रेमचंद

2023-04-05

उपन्यास

भाग-15 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-15 - godan - munshi premchand

मालती बाहर से तितली है, भीतर से मधुमक्खी । उसके जीवन में हंसी ही हंसी नहीं है, केवल गुड खाकर कौन जी सकता है! और जिए भी तो वह कोई सुखी जीवन न होगा । वह हँसती है, इसलिए कि उसे इसके भी दाम

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मुंशी प्रेमचंद

2023-04-05

उपन्यास

भाग-14 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-14 - godan - munshi premchand

होरी की फसल सारी-की-सारी डाँड़ की भेंट हो चुकी थी । बैशाख तो किसी तरह कटा, मगर जेठ लगते-लगते घर में अनाज का एक दाना न रहा । पाँच-पाँच पेट खाने वाले और घर में अनाज नदारद । दोनों जून न मिले,

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मुंशी प्रेमचंद

2023-04-04

उपन्यास

भाग-13 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-13 - godan - munshi premchand

गोबर अंधेरे ही मुँह उठा और कोदई से विदा माँगी । सबको मालूम हो गया था कि उसका ब्याह हो चुका है, इसलिए उससे कोई विवाह-सम्बन्धी चर्चा नहीं की । उसके शील-स्वभाव ने सारे घर को मुग्ध कर लिया था । कोदई

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मुंशी प्रेमचंद

2023-04-04

उपन्यास

भाग-12 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-12 - godan - munshi premchand

रात को गोबर झुनिया के साथ चला, तो ऐसा काँप रहा था, जैसे उसकी नाक कटी हुई हो । झुनिया को देखते ही सारे गाँव में कुहराम मच जायेगा, लोग चारों ओर से कैसी हाय-हाय मचायेंगे, धनिया कितनी गालियाँ

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मुंशी प्रेमचंद

2023-04-02

उपन्यास

भाग-11 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-11 - godan - munshi premchand

ऐसे असाधारण काण्ड पर गाँव में जो कुछ हलचल मचना चाहिए था, वह मचा और महीनों तक मचता रहा । झुनिया के दोनों भाई लाठियाँ लिये गोबर को खोजते फिरते थे । भोला ने कसम खायी कि अब न झुनिया का मुँह देखेंगे

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मुंशी प्रेमचंद

2023-04-02

उपन्यास

भाग-10 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-10 - godan - munshi premchand

हीरा का कहीं पता न चला और दिन गुजरते जाते थे। होरी से जहाँ तक दौड़-धूप हो सकी की; फिर हारकर बैठ रहा । खेती-बारी की भी फिक्र करनी थी । अकेला आदमी क्या-क्या करता । और अब अपनी खेती से ज्यादा

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मुंशी प्रेमचंद

2023-04-01

उपन्यास

भाग-9 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-9 - godan - munshi premchand

प्रात:काल होरी के घर में एक पूरा हंगामा हो गया । होरी धनिया को मार रहा था । धनिया उसे गालियाँ दे रही थी । दोनों लड़कियाँ बाप के पाँवों से लिपटी चिल्ला रही थी और गोबर माँ को बचा रहा था

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मुंशी प्रेमचंद

2023-04-01

उपन्यास

भाग-8 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-8 - godan - munshi premchand

जब से होरी के घर में गाय आ गयी है, घर की श्री ही कुछ और हो गयी है । धनिया का घमण्ड तो उसके संभाल से बाहर हो-हो जाता है । जब देखो-गाय की चर्चा। भूसा छिज गया था

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मुंशी प्रेमचंद

2023-03-31

उपन्यास

भाग-7 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-7 - godan - munshi premchand

यह अभिनय जब समाप्त हुआ, तो उधर रंगशाला में धनुष – यज्ञ। समाप्त हो चुका था और सामाजिक प्रहसन की तैयारी हो रही थी; मगर इन सज्जनों को उससे विशेष दिलचस्पी न थी । केवल मिस्टर मेहता देखने गये

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मुंशी प्रेमचंद

2023-03-31

उपन्यास

भाग-6 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-6 - godan - munshi premchand

जेठ की उदास और गर्म सच्चा सेमरी की सड़कों और गलियों में पानी के छिड़काव से शीतल और प्रसन्न हो रही थी । मण्डप के चारों तरफ फूलों और पौधों के गमले सजा दिए गए थे और बिजली के पंखे चल रहे थे । रायसाहब

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मुंशी प्रेमचंद

2023-03-31

उपन्यास

भाग-5 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-5 - godan - munshi premchand

उधर गोबर खाना खाकर अहिराने में पहुँचा । आज झुनिया से उसकी बहुत-सी बातें हुई थी । जब वह गाय लेकर चला था, तो झुनिया आधे रास्ते तक उसके साथ आयी थी । गोबर अकेला गाय को कैसे ले जाता । अपरिचित व्यक्ति

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मुंशी प्रेमचंद

2023-03-31

उपन्यास

भाग-4 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-4 - godan - munshi premchand

होरी को रात भर नींद नहीं आयी । नीम के पेड़-तले अपनी बीस की खाट पर पड़ा बार-बार तारों की ओर देखता था । गाय के लिए एक नाँद गाड़नी है । बैलों से अलग उसकी नाँद रहे तो अच्छा । अभी तो रात को

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मुंशी प्रेमचंद

2023-03-29

उपन्यास

भाग-3 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-3 - godan - munshi premchand

होरी अपने गाँव के समीप पहुंचा, तो देखा, अभी तक गोबर खेत में ऊख गोड़ रहा है और दोनों लडकियाँ भी उसके साथ काम कर रही हैं । लू चल रही थी, बगूले उठ रहे थे, भूतल धधक रहा था । जैसे प्रकृति

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मुंशी प्रेमचंद

2023-03-29

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भाग-1 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-1 - godan - munshi premchand

होरीराम ने दोनों बैलों को सानी-पानी देकर अपनी स्त्री धनिया से कहा-गोबर को ऊख गोड़ने भेज देना । मैं न जाने कब लौटूँ । ज़रा मेरी लाठी दे दे । धनिया के दोनों हाथ गोबर से भरे थे । उपले पाथकर

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मुंशी प्रेमचंद

2023-03-28

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भाग-2 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-2 - godan - munshi premchand

सेमरी और बेलारी दोनों अवध प्रान्त के गांव हैं । जिले का नाम बताने की कोई ज़रूरत नहीं । होरी बेलारी में रहता है, राय साहब अमरपाल सिंह सेमरी में । दोनों गाँवों में केवल पाँच मील का अन्तर है ।

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2023-03-28
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