बटेर और शिकारी
एक बहेलिया था, जो हर दिन बहुत सारी बटेरों का शिकार किया करता था। बटेरों की संख्या तेजी से घटने लगी। बटेरों के राजा वे अपने साथियों की बैठक बुलाई और बोला, "कल जब बहेलिया हमें पकड़ने के लिए आएगा, तो हम सब एक साथ बल लगाकर जाल लेकर उड़ चलेंगे और अपनी जान बचाएंगे। बटेरों की योजना सफल रही और उस दिन बहेलिया एक भी बटेर नहीं पकड़ पाया।
कुछ दिनों बाद बहेलिया फिर से आया। उसने फिर से अपना जाल फैला दिया और बटेरें फिर से फंस गई। हालाँकि जब वे एक साथ उड़ने के लिए तैयार हुई तभी एक बटेर का पैर दूसरी बटेर के सिर पर लग गया।
दोनों में झगड़ा हो गया और बचना भूलकर वे एक दूसरे से लड़ने लगी!
बहेलिया आया और सारी बटेरों को जाल में लपेटकर ले गया। संकट के समय बटेरों ने एकजुटता दिखाने के बजाय, आपस में लड़ना शुरू कर दिया, जिससे बहेलिए को उन्हें पकड़ने में सफलता मिल गई।