
उत्तर प्रदेश में तेल की खोज एक गेम चेंजर हो सकती है । uttar Pradesh main oil ki khoj game changer ho sakti hai ।।
यह काफी अच्छा समाचार आ गया है कि उत्तर प्रदेश के बलिया जिला में तेल की खोज हो चुकी है। आपने देखा होगा इस पर बहुत से लेख प्रकाशित हुए हैं कि उत्तर प्रदेश के बलिया जिला में तेल के खजाने की खोज हुई है। जो उत्तर प्रदेश के बिल्कुल पूर्व का क्षेत्र है, वहां पर आपको बलिया मिलेगा। इस क्षेत्र में विकास वैसे काफी कम हुआ है। इस क्षेत्र की सीमा बिहार के साथ है। और वैसे आप अगर भारत का इतिहास पढ़ोगे, भारत का जो स्वतंत्रता आंदोलन है वहां बलिया का नाम काफी बार आएगा। यहां पर भारत के कई स्वतंत्रता सेनानी गए थे। और दिलचस्प बात देखिए जो अभी हालही में समाचार सामने आया है, वहां पर यह बताया गया है कि जो जमीन भारत के एक स्वतंत्रता सेनानी चिटू पांडे के परिवार को दी गई थी। उसी जमीन पर ओएनजीसी ड्रिलिंग कर रही थी और बहुत सारा कच्चा तेल उसी जमीन पर मिला है। और वास्तव में मैं पिछले एक दो महीने से लगातार इस समाचार के पीछे था। जाहिर तौर पर दिल में एक उत्साह होता है, उम्मीद होती है कि ओएनजीसी जब तेल को खोजने की कोशिश करेगी, कुछ ना कुछ तेल मिल जाए, प्राकृतिक गैस मिल जाए, देश का भला हो, क्षेत्र का भला हो। और जब ऐसा समाचार सामने आता है कि हां, बिल्कुल कच्चा तेल मिला है।
अभी ओएनजीसी मान के चल रही है कि इस पूरे इलाके में और भी बहुत सारे कुए के वेल्स हो सकते हैं। यहां पर काफी बड़े मात्रा में तेल हो सकता है। सच में सुन के अच्छा लगता है क्योंकि आप अगर देखो पूर्वी उत्तर प्रदेश में वहां पर इतना विकास नहीं हुआ है। अगर वहां पर इस तरीके के प्राकृतिक संसाधन मिलते हैं, तो उस पूरे क्षेत्र के लिए यह एक गेम चेंजर होगा। और अगर यहां पर आपका सवाल है कि आप यह बताइए, आपको दो महीने पहले से ही इसका आईडिया कैसे लग गया था कि बलिया में ओएनजीसी तेल ढूंढने की कोशिश कर रहा है। देखो, इस पर फरवरी 1 को लेख प्रकाशित हुए थे, समाचार आया था कि ओएनजीसी, ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन भारत की सरकारी कंपनी है, ओएनजीसी ने ड्रिलिंग की एक परियोजना शुरू कर दी है। ताकि यह हाइड्रोकार्बन, हाइड्रोकार्बन यही होते हैं तेल, प्राकृतिक गैस वगैरह, यह ढूंढ पाए। उत्तर प्रदेश के बलिया जिला में यह कहीं से भी छोटी परियोजना नहीं थी। ओएनजीसी करोड़ों रुपए, इस पूरी परियोजना में अगर हम देखें तो 80 से लेकर 100 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। और इसलिए मैं चाहता था कि कुछ ना कुछ तेल, प्राकृतिक गैस मिल जाए क्योंकि मैं आपको यह बता दूं तेल, प्राकृतिक गैस ढूंढना बहुत ज्यादा महंगा काम होता है। कई बार क्या होता है, आप 100-200 करोड़ रुपए खर्च देते हो। एक पूरा एरिया छान रहते हो, डाटा इकट्ठा करते रहते हो, कुछ मिल जाए, कुछ मिल जाए, कुछ हाथ नहीं आता और साथ ही साथ टैक्स पेयर मनी के करोड़ों रुपए भी बर्बाद हो जाते हैं। और इसलिए आपने देखा होगा जो अपेक्षाकृत गरीब देश होते हैं, वो बिना विदेशी निवेश के खोज पर इतना पैसा खर्चते नहीं हैं क्योंकि ये काफी हद तक जुआ जैसा भी हो जाता है, आप नहीं जानते तेल मिले, ना मिले।
उदाहरण हेतु फरवरी का एक आर्टिकल है, इसमें लिखा है “द कॉपरेशन विल ड्रिल वन वेल एट ए कॉस्ट ऑफ 85 करोड़”। अब आप कहोगे, 85 करोड़ रुपये और साथ में और अतिरिक्त खर्चा, इतना पैसा क्यों लग जाता है। अब देखो पहले तो ओएनजीसी डाटा इकट्ठा करता है, काफी बार सैटेलाइट, जियोकेमिकल, ग्रेविटी, मैग्नेटिक, मैग्नेटो टरिक, यह सारे सर्वे किए जाते हैं। इनमें कई साल लग जाते हैं, मैं आपको यह बता दूं ओएनजीसी ने, बलिया का यह जो क्षेत्र है, यहां पर पिछले 3 सालों में दुनिया भर के सर्वे किए हैं। इनके पास डाटा आया, डाटा सरकार को भेजा गया और अधिकारियों ने विचार-विमर्श किया। फिर उसके बाद सच में एक संभावना जागी कि यह सारा जो सैटेलाइट, जियोकेमिकल, ग्रेविटी मैग्नेटिक का ये डाटा है, सर्वे सामने आया है, इससे लग तो रहा है कि इस क्षेत्र के नीचे काफी नीचे तेल हो सकता है, संभावना है।
चलिए पैसा निवेश करते हैं, ड्रिलिंग शुरू करते हैं। क्या पता कुछ हाथ में लग जाए। फिर उसके बाद क्या किया गया कि जो ये चिटू पांडे जी हैं, इनकी फैमिली की जो जमीन है, वहां पर इनको बोला गया कि देखिए हम ड्रिलिंग करेंगे। इनकी फैमिली को लाखों रुपए दिए गए, यहां पर ओएनजीसी ने 65 एकड़ की जमीन लीज पर ली है, आप कह लीजिए लीज पर ली है पांडे फैमिली से 3 साल के लिए रेंट पर ली है। इसमें इनके जो सर्वे वगैरह है ये सारे हो गए। इनको कहा है कि हम आपको हर साल का ₹10 लाख देंगे। अब मान लो पांडे जी की फैमिली नहीं मानती कि हमको कराना ही नहीं है, हमको यहां पर खेती करनी है। सारा प्रोजेक्ट ठप, यहां पर मैं कहूंगा, काफी सारी चीजें एक के बाद एक काफी सकारात्मक तरीके से हुई हैं। सर्वे में अच्छे रिजल्ट आए, पांडे जी की फैमिली मान गई, इनको भी साल के पैसे दे दिए गए। और अब ओएनजीसी ने 3 साल के लंबे शोध के बाद कहा है कि हमने तेल खोज लिया है। इसीलिए सब लोग इतना खुश है।
मैं यहां पर ओएनजीसी को भी अप्रिशिएट करना चाहूंगा। आप अगर पिछले एक साल में देखो ओएनजीसी ने पांच नई ऑयल और नेचुरल गैस की डिस्कवरी की हैं, कुछ ऑन शोर, कुछ ऑफशोर यह बहुत ही अच्छा समाचार है। कई खोज आसाम, गुजरात कई और पश्चिमी भारत के इलाके में हुई है। इससे देखिए पहली बात तो यह पता लगती है कि सरकार ने ओएनजीसी को एक तरीके से अनुमति दी थी कि आप ढूंढो पैसा आपके पास है, अन्वेषण करो, देखी जाएगी, कहीं ना कहीं हमारे देश में बिल्कुल इतनी पुरानी धरती है। मेरा मतलब है हमारे देश की जो धरती है, एक टाइम पर अफ्रीकन महाद्वीप का पार्ट था फिर ड्रिफ्ट होकर यहां पर एशिया में मर्ज हुआ। इतने लंबे समय तक भारत पर डायनासोर चले, कई जिओ पॉलिटिकल एक्टिविटीज हुई। हमारी जमीन इतनी उपजाऊ है। बिल्कुल जमीन के नीचे अगर हम सही से खोज करेंगे, तो कोई बड़ी बात नहीं है भारत में बड़ी मात्रा में कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, ये सब मिल सकती हैं। क्योंकि आप अगर, जो ये हाइड्रोकार्बंस है तेल, प्राकृतिक गैस, इनको सोच कर देखो तो हम इनको “जीवाश्म ईंधन” क्यों कहते हैं? आपने ये शब्द काफी बार सुने होंगे कि ये जीवाश्म ईंधन है। ‘जीवाश्म’ का मतलब होता है कि किसी एक ऐसे जानवर के शरीर का भाग जो कई हजारों साल पहले जिंदा था। मर चुका है, उसका कुछ अवशेष मिला है। तो जीवाश्म ईंधन क्यों कहते हैं? क्योंकि कई मिलियन साल पहले जो भी जानवर धरती पर चला करते थे, न सिर्फ डायनासोर, यहां पर कई मरीन जानवर, वासुकी इंदिकश, कई सांप वगैरह दुनिया भर के जो जीव जंतु रहते थे, यह मर गए, जमीन के नीचे दबते गए। इनके ऊपर परत जम गई, सैंड की, सिल्ट की, रॉक की। यहां पर हीट प्रेशर पड़ता गया। और उसी से अंततः क्रूड तेल या फिर पेट्रोलियम बन जाता है।
भारत का इतिहास इतना पुराना है, इस धरती का इतिहास इतना पुराना है, अगर हम वास्तव में खोजे तो बहुत सारी खोजें ऐसी हो सकती हैं। अब यहां पर आप कहोगे अच्छा ठीक है ये सब ज्ञान प्राप्त कर लिया, अभी यह बताओ कि उत्तर प्रदेश से कितना तेल निकलेगा। और हम कितनी जल्दी सऊदी अरब बन जाएंगे या फिर वेनेजुएला या फिर रशिया जैसा तेल निकलना शुरु हो जाएगा। देखो यहां पर मुझे पहली बात तो यह बोलना पड़ेगा, अभी हमें पता लगा है कि तेल यहां पर है। इतिहास में देखा गया है कि जब एक तेल कुंआ मिलता है, और जब आपके पास और भी बहुत सी रिपोर्ट्स होती है कि यहां पर बड़े स्केल पर तेल हो सकता है। तो उसके बाद लगातार खोज होती रहती है, तो अभी 300 किमी के क्षेत्र में खोजें होंगी। देखा जाएगा कि 3000 मीटर की गहराई में अभी कहां-कहां पर और तेल है। तो अभी टाइम लगेगा यह पता करने में कि यहां पर तेल कितना है, इस सब में पानी खूब लगेगा। एक्सक वेशन में बताया जाता है कि रोज का 25000 लीटर पानी यहां पे लगता है। तो अभी देखिए ऑयल की एकदम सही मात्रा कितनी होगी, यह पता करना बाकी है। मैं सोचता हूं कि आने वाले कुछ महीनों में पता लग जाएगा।