
दिल्ली उच्च न्यायालय के जज के निवास पर मिला इतना ज्यादा कैश । Delhi High Court ke judge ke nivas per mila etna jyada cash ।।
इस मामले के बारे में अगर आपको पता नहीं है तो आपको इस मामले के बारे पता होना चाहिए। पूरे देश के मीडिया आउटलेट्स इसके बारे में बात कर रहा है। यह वीडियो हर जगह सर्कुलेट हो रही है। यहां पर आप देख पाओगे इस वीडियो में जो जला हुआ कैश है यह 15 करोड़ से भी ऊपर का है। ये एक प्रॉपर एस्टिमेट नहीं है कि यहां पर यह जो सारा कैश है 15 करोड़, 10 करोड़, 20 करोड़ कितना है। लेकिन यह बहुत बड़ी राशि है और यह राशि एक सिटिंग हाई कोर्ट जज के घर में मिली है। हालांकि आप कह सकते हैं उनके घर के सर्वेंट क्वार्टर में मिला है। जहां पर माली, नौकर और वहां पर एक स्टोररूम था वहां पर मिला है। मगर यह काफी चिंताजनक दृश्य है कि हमारे देश के एक हाई कोर्ट के जज के घर के परिसर में इतना सारा पैसा आखिर क्यों था? और यह बात जिस तरीके से देश के सामने आई है वह भी बहुत चिंता का विषय है।
अब यहां पर आपका सवाल आएगा चलो ठीक है देख लिया यहां पर बहुत सारा जला हुआ कैश है। मगर हाई कोर्ट के जज, यह कैश मिला, यह सब कहानी शुरू कहां से होती है। यह मैं आपको बहुत साधारण शब्दों में समझाता हूं कि यह सब कुछ शुरू कहां से हुआ। देखिए दिल्ली हाई कोर्ट में जज होना एक बहुत बड़ी बात होती है। दिल्ली हाई कोर्ट के जज थे यशवंत वर्मा। थे इसलिए कह रहा हूं क्योंकि कुछ ही दिनों पहले। इनका अब स्थानान्तरण इलाहाबाद हाई कोर्ट में कर दिया गया है। मगर यशवंत वर्मा वैसे 2023 में बड़े प्रसिद्ध हो गए थे जब इन्होंने यूपीआई की तारीफ की थी। यह बोला था कि यूपीआई की मदद से हमारे देश में काला धन बिल्कुल कम होगा। मगर आज के समय यह बहुत बड़े विवाद में फंस चुके हैं। 14 मार्च को यह समाचार आता है कि जस्टिस वर्मा का जो न्यू दिल्ली में शासकीय निवास है, वहां पर आग लग गई। आग लगने पर अग्निशामक को बुलाया गया। वहां पर अग्निशामक गए, उन्होंने आग बुझाने की कोशिश की। और फिर पता लगा कि जो इनका सर्वेंट्स क्वार्टर है, उसके स्टोर रूम में ₹15 करोड़ रुपये या फिर उससे भी ज्यादा का जला हुई राशि मिली। आप यह कहीं से न्यायसंगत नहीं ठहरा सकते, क्योंकि हाई कोर्ट के जज की सैलरी अधिकतम 2,25,000/- के आसपास होती है। तो अगर आप 10 साल तक अपनी सैलरी का एक रुपया भी नहीं खर्चते, तो 10 साल में भी आपके पास 1 करोड़ 30 लाख के आसपास इकट्ठे होते हैं। तो यह 15 करोड़ कहां से आ गए कोई भी इसे न्यायसंगत नहीं ठहरा सकते। मगर आरंभ में तो देश को यह भी नहीं पता था कि पैसा मिला या नहीं मिला, क्योंकि रिपोर्ट्स यह आई कि अग्निशामकों ने आरंभ में यह कहा कि राशि नहीं मिली। फिर बाद में कहा कि मैंने कभी यह नहीं कहा कि राशि नहीं मिली। और पूरा देश यह जानना चाहता था कि देश की राजधानी में हो क्या रहा है। जो हाई कोर्ट है, वहां पर जो जज बैठे हैं, उनके घर में 15 करोड़ का राशि मिली है या नहीं मिली। इसको लेकर पूरे देश में डिबेट चल रहा था। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट यह निर्णय करता है कि लोगों के सामने उचित साक्ष्य होना चाहिए, ताकि लोग खुद जज कर पाएं, क्योंकि आप खुद समझ सकते हैं प्रजातंत्र में न्यायापालिका पर लोगों का भरोसा बहुत आवश्यक है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट जज के निवास की यह जो वीडियो है जो आरंभ में अग्निशामकों को मिली थी दिल्ली पुलिस के द्वारा यह पब्लिक के सामने साफ कर दी है। देखिए यह हुआ था, साथ ही साथ इन्होंने यह भी जोड़ा कि जो दिल्ली हाई कोर्ट के जज हैं, यशवंत वर्मा यह कह रहे हैं कि इनके विरूद्ध षड्यंत्र रचा जा रहा है। इनके हिसाब से इनको पता नहीं यह राशि कहां से आई। किसी ने राशि रख दी होगी। इनका नाम खराब करने की कोशिश की जा रही है। तो जस्टिस वर्मा को पता है कि यह राशि वगैरह यहां पर होनी नहीं चाहिए। और यह खुद को उसेसे अलग कर रहे हैं। इसी बीच एक समाचार यह आता है कि जस्टिस वर्मा को अपने न्यायिक कर्त्तव्यों से मुक्त कर दिया गया है। क्योंकि अचानक से इन पर बड़े आरोप लगे हैं, तुरंत यह निर्णय किया गया है कि ये अब कोई केस नहीं देखेंगे। फिर रोचक बात देखिए कल रात से एक समाचार यह भी आया था कि इनका स्थानान्तरण दिल्ली हाई कोर्ट से इलाहाबाद हाई कोर्ट में कर दिया गया है। हालांकि बाद में बताया गया कि जो इनका स्थानान्तरण है यह तो नियमित स्थानान्तरण है। यह किसी अफवाह से संबंधित नहीं है। मगर स्पष्टतः लोग प्रश्न तो पूछेंगे कि ट्रांसफर का जो समय है यह भी काफी अजीब है। और सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा को यह भी कहा है क्योंकि आज के समय यह सब हो रहा है हमें यहां पर उचित साक्ष्य चाहिए। जो भी पिछले छ महीने का फोन के मैसेजेस का, कॉल का, आपका डाटा है यह सब कुछ आप संरक्षित करके रखोगे। जाहिर तौर पर सुप्रीम कोर्ट देखना चाहेगा कि जस्टिस वर्मा किससे बात कर रहे थे। क्या मैसेजेस आ रहे थे, क्या हो रहा था सब कुछ साफ होना चाहिए। क्योंकि देखो यह साफ-साफ बात है कि हमारे देश में न्यायिक भ्रष्टाचार एक बहुत ही ज्यादा गंभीर मामला है। मैं आपको सबसे ज्यादा अजीब बात बताऊं, हमारे देश के इतिहास में आज तक किसी भी वर्तमान जज या भूतपूर्व जज को, ना दोषी ठहराया गया है, ना भ्रष्टाचार हेतु उसको दोषी सिद्ध किया गया है। भारत में अधिकतम यह होता है कि जज त्यागपत्र दे देता है, सेवानिवृत्त हो जाता है या उसके जो भी कर्तव्य थे उससे उसको मुक्त कर दिया जाता है। उसके आगे कुछ एक उचित जांच करके यहां पर जो भी भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं, जो सबूत सामने आए हैं, उसको लेकर हमारे देश में कभी उचित कार्रवाई हुई नहीं है। और लोग यहां पर यह सवाल पूछ रहे हैं कि क्या देश के न्यायधीशों को ज्यादा उत्तरदायी होना चाहिए या नहीं।
देखो देश में स्थिति इतनी खराब है कि हाल ही में मेघालय के भूतपूर्व मुख्य न्यायधीश साने बैनर्जी ने 2024 में एक बयान दिया था। इन्होंने यह कहा था कि मैंने जब हमारे देश में बहुत सारे जो जज हैं, जो भ्रष्ट हैं, केस सुलझाने के लिए घूस लेते हैं, पैसा लेते हैं, यह इनकी सारी बातें मैंने मुख्य न्यायधीश को बताई तो मेरा स्थानान्तरण कर दिया गया। यह बात एक भूतपूर्व जज सेवानिवृत्त होने के बाद खुद कह रहा है कि देश में स्थिति ऐसी है कि इतने सारे भ्रष्ट जज हैं। आप कह लीजिए एक ग्रुप है इनके विरूद्ध मुख्य न्यायधीश को अगर मैं बोलूं भी, तो सीधा मेरा स्थानान्तरण हो जाता है। ये इनका बयान है इसको लेकर अभी कुछ सिद्ध नहीं हुआ है। इनकी स्टेटमेंट थी “द रीजन इज दैट आई फाउंड करप्ट जजेस एंड आई रिपोर्टेड टू द चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया अबाउट द करप्ट जजेस विद एविडेंस बैकिंग इट अप”। ऐसा नहीं है कि मैं बस शिकायत लगाने चला गया मैंने उनको उचित साक्ष्य भी दिखाया कि देखिए ये जो भ्रष्ट जजेस हैं दुर्भाग्य से ऊपर के पदों पर इनके मित्र भी थे। जिसकी वजह से मेरा स्थानान्तरण कर दिया गया, “दैट वाज द रियल रीजन नॉट ए कमेंट्री ऑन द इलेक्शन कमीशन”। उन्होंने इलेक्शन कमीशन पर भी एक बयान दिया था। तो ये कह रहे हैं कि उसकी वजह से मेरा ट्रांसफर नहीं हुआ, प्रमुख कारण यह था।
2015 में सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट जज मार्कंडेय ने एक बयान यह दिया था कि हमारे देश में 50% उच्च न्यायपालिका भ्रष्ट है। अगर यह बयान सच है, वास्तविकता है। यह दुर्भाग्यपूर्ण मामला आया है मुझे लगता है इसकी उचित जांच होनी चाहिए। देश को पता लगना चाहिए और सुप्रीम कोर्ट का निर्णय काफी अच्छा है कि इन्होंने जो यह साक्ष्य है, जो वीडियो है, यह देश के सामने जारी कर दी, ताकि एक पारदर्शिता आए। लोगों में विश्वास आए कि अगर कहीं से कुछ आरोप लगते हैं, तो दुनिया को बताया जाएगा, देश को बताया जाएगा कि वास्तव में यहां पर हुआ क्या था और आशा है हमें बहुत ही जल्द पता लगेगा कि इस विशेष मामले में हुआ क्या था? ये कैश कहां से आया था? क्योंकि लोग जजेस के पास बहुत उम्मीदों से जाते हैं कि जजेस इनको न्याय देंगे, इनको न्याय मिलेगा। यहां पर उनकी छबि साफ रहे। मैं कहूंगा यह देश के लिए भी बहुत ही ज्यादा महत्त्वपूर्ण है।