
शेयर बाजार में धमाका । share bazar me dhmaka
सारंश:
मार्केट में हाल ही में आई गिरावट के बीच, विवेक सिंघल ने ट्रेडिंग.com पर एक वीडियो में इस स्थिति का विश्लेषण किया है। उन्होंने बताया कि बाजार में गिरावट के कारण सभी प्रकार के स्टॉक्स, चाहे वे स्मॉल कैप हों या लार्ज कैप, 30-40% तक नीचे चले गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक टैक्स में कमी, जैसे कि स्टॉक ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) में बदलाव नहीं किया जाता, तब तक बाजार की स्थिति में सुधार की उम्मीद नहीं है।
विवेक ने यह स्पष्ट किया कि गिरावट का मुख्य कारण तकनीकी और मौलिक दोनों पहलू हैं। उन्होंने बताया कि जब बाजार में तेजी आती है और फिर अचानक गिरावट होती है, तो वह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। इसके अलावा, उच्च ब्याज दरें और लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ कर भी इस गिरावट के पीछे के प्रमुख कारण हैं। उन्होंने कहा कि अगर ब्याज दरें कम होती हैं, तो यह बाजार के लिए सकारात्मक संकेत होगा।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि तकनीकी स्तर पर, निफ्टी इंडेक्स का 300-दिन का मूविंग एवरेज महत्वपूर्ण है। जब बाजार इस स्तर को नहीं छूता, तो अगले वर्ष में गिरावट की संभावना बढ़ जाती है। विवेक ने पहले भी इस बारे में चेतावनी दी थी और अब इस गिरावट को एक तकनीकी सुधार के रूप में देखा जा रहा है।
विवेक ने कहा कि आने वाले महीनों में बाजार में समय-समय पर उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है, लेकिन यह भी संभावना है कि ब्याज दरों में कमी से बाजार को समर्थन मिलेगा। उन्होंने निवेशकों को सलाह दी कि वे अपने स्टॉक्स को धैर्यपूर्वक रखें और जब तक तकनीकी लक्ष्यों को प्राप्त नहीं किया जाता, तब तक बेचने से बचें।
अंत में, विवेक ने कहा कि वर्तमान में बाजार में गिरावट का कोई बड़ा खतरा नहीं है, लेकिन यह भी जरूरी है कि निवेशक छोटी-छोटी रैलियों को कैप्चर करें। उन्होंने यह भी कहा कि अगले कुछ महीनों में बाजार में सुधार की उम्मीद है, लेकिन यह एक सीधी रैली नहीं होगी। निवेशकों को अपने निवेश पर ध्यान केंद्रित करते हुए धैर्य बनाए रखना चाहिए।
अब होगा शेयर बाजार में धमाका
मार्केट में अच्छी खासी गिरावट चल रही है थोड़ी सी रिकवरी आनी शुरू हुई है लेकिन इस रिकवरी से कुछ खास फर्क नहीं पड़ता जब मार्केट में एक बहुत अच्छी गिरावट आ चुकी हो मतलब सारे ही स्टॉक्स चाहे वो स्मॉल कैप हों, मिड कैप हों या फिर लार्ज कैप हो, कुछ शेयरों को छोड़कर सभी टॉप से 30-40% पर नीचे हैं, और छोड़कर भी कौन से हैं, जैसे कोटक महेंद्र बैंक है, एचडीएफसी बैंक है, बजाज फानेन्स है, बजाज फिनसर्व है तो इन कंपनियों को एक जगह रोककर क्योंकि इनकी भार निफ्टी में काफी ज्यादा है तो निफ्टी को रोककर थोड़ा मेंटेन करने की कोशिश की गई है लेकिन व्यापक मार्केट की बात करें तो व्यापक मार्केट में सभी अच्छे शेयर चाहे फिर वो कोई से भी शेयर हों सभी 30-40-50% नीचे हैं कुछ शेयर 60-70% भी नीचे हैं। अब इस मार्केट में डाउन की वजह से काफी लोग यह कह रहें हैं कि इसके कारण क्या हैं तो पता चलता है कि जो ट्रेडर्स हैं उनके दिमाग में चल क्या रहा है। सामान्य जनता क्या सोच रही है तो कारण आ रहे हैं कि निर्मला सीता रमण जी ने सोर्ट टर्म कैपिटल गेन/ लौंग टर्म कैपिटल गेन टैक्स कम नहीं किया और डॉलर का मूल्य बढ़ रहा है। जब तक आप टैक्स कम नहीं करोगे, एसटीटी नहीं हटाओगे या लॉन्ग टर्म/ शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स कम नहीं करोगे या फिर आप भारतीय रूपये का गिरना बंद नहीं करोगे, तब तक ये स्थिति बदलने वाली नहीं है एवं विदेशी निवेशक शेयरों को बेचते रहेंगे।
तो ये सारी बातें चल रही हैं लेकिन असली कारण क्या ये शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स ही है वास्तव में असली कारण ये नहीं है असली कारण को लेकर मैंने आपको समझाया हुआ है और रीजन भी क्या थे वास्तव में बाजार के नीचे गिरने को दो कारण हैं, पहला, मार्केट लगातार जब बहुत ज्यादा तेजी में रहता है तो उसके बाद उसमें थोड़ी सी गिरावट आना या कंसोलिडेशन आना वो एक नेचुरल सा बिंदु है इसी चीज को मैंने समझाया था कि अगर हम निफ्टी के चार्ट की बात करें तो मैंने यहां पर 300 डेज का मूविंग एवरेज लगाया हुआ है सिंपल मूविंग एवरेज है जब कभी भी पूरे एक साल तक निफ्टी जो ये 300 डे मूविंग एवरेज है इसको टच नहीं करता अगर पूरा साल निकल जाए और उसको टच नहीं किया तो आप मान के चलो नेक्स्ट ईयर यहां पर एक कंसोलिडेशन का आ जाएगा और वो गिरावट का आ जाएगा जैसे हम यहां पर देखें 2024 में कभी भी इसने निफ्टी ने 300 डे मूविंग एवरेज को टच नहीं किया उससे पहले 2023 में टच किया था, हाँ, 2023 में इसने टच किया और यहां पर 2022 में भी टच किया और 2021 में इसने पूरा साल निकाल दिया और निफ्टी रिट्रेस होकर 2021 300 डे मूविंग एवरेज तक नहीं आई थी अगर हम यहां पर देखने लगे, इसी तरह से उसका रिजल्ट क्या निकला उसका रिजल्ट ये निकला कि नेक्स्ट टाइम में फिर यहां पर कंसोलिडेशन आया और गिरावट आई, इससे पहले भी सेम वर्किंग की हुई है आप देखना इस चीज को रिटेस्ट करना तो ये चीज पहले से समझ में आती है कि जब लगातार मार्केट में रैली आ रही हो इस तरीके से, तो पूरा साल अगर निकल जाए बिना रिट्रेस हुए तो उसके बाद अगला साल थोड़ा सा ऐसे ही जाता है, तो एक तो ये टेक्निकल कारण हुआ, ये टेक्निकल कारण है ओवर सोल्ड मार्केट का एक कंसोलिडेशन में जाना, इसी चीज को लेकर मैंने आगाह भी किया था, बहुत बार बोला भी था कि हाई फ्लाइंग स्टॉक से दूर रहो हाई फ्लाइंग स्टॉक से दूर रहो, अब सबको समझ में नहीं आती बात काफी लोगों को समझ में आए काफी को नहीं भी आई अब हाई फ्लाइंग जो स्टॉक्स थे उनमें वापस से लाइफ टाइम हाई कब बनेगा कहना बड़ा मुश्किल है लेकिन जो स्टॉक नीचे थे और वैल्यूएशन के बेस पर अच्छे थे वो भी मार्केट के साथ नीचे आए हैं ऐसी बात नहीं है कि वो मार्केट के साथ नीचे नहीं आए, जब भी, देखो मार्केट इस तरह से लगातार गिरेगी जो सुनामी जैसी सिचुएशन होगी तो एक बार तो सभी के घरों में पानी भरेगा और सभी की छतें गीली होंगी, और सभी का बाहर निकलना मुश्किल हो जाएगा लेकिन सुनामी के रुकने के बाद पता चलेगा कि यहां पर किसके घर कितने मजबूत थे किसके घर खड़े रहेंगे और किसके ढह जाएंगे तो यहां पर अगर हम ये सोच रहे हैं कि कोई इस तरह का तरीका बताओ भाई कि सिर्फ मेरा स्टॉक ना गिरे इस तरह के फॉल में तो ऐसा कोई तरीका नहीं है बस हमें अपने आप को इस तरह से डिसिप्लिन मैनर में ट्रेड कराना है और यहां पर ग्रीड से बचाना है कि जब मार्केट बहुत ज्यादा तेजी में हो तो हाई फ्लाइंग स्टॉक्स में ना घुसा जाए हाई लाइंग स्टॉक्स “मींस दोज आर कंटीन्यूअसली मेकिंग लाइफ टाइम हाई” और हम ऊपर से ऊपर और ऊपर के लेवल पर एंट्री ले रहे हैं क्योंकि हमें लगता है कि ये स्टॉक अभी कभी नहीं गिरने वाले तो कभी नहीं गिरने वाले स्टॉक्स गिरते भी हैं और तीन-चार साल तक फिर नीचे भी पड़े रहते हैं और फिर उन्हीं स्टॉक्स को हम बेकार भी बताते हैं कोई नहीं यहां पर स्ट्रेटीजी को लेकर ट्रेड करने की जरूरत होती है।
तो सबसे पहला कारण मार्केट के गिरने का था टेक्निकल कारण मार्केट बहुत ज्यादा बढ़ गई थी कंसोलिडेशन यहां पर आना ही था इस चीज को पहले भी तीन चार पाच महीने पहले वीडियोस में समझाया गया था अच्छे से समझाया गया था दूसरा मूल कारण था यहां पर ब्याज दर का बहुत ज्यादा ऊपर बने रहना, लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स का कारण था नो, शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स का कारण था नो यहां पर एसटीटी का कारण था नो, यूएस डॉलर, भारतीय रुपया, पहले भी यूएस डॉलर भारतीय रुपये ने इसी तरह की चाले दिखाई हैं कि भारतीय रुपया यहां पर डेप्रिसिएशन हुआ है, देखो हर विकासशील देश का जो करेंसी है ना, जब तक वो आयात के ऊपर निर्भर रहेगी उसकी करेंसी हमेशा डाउन होती रहेगी और इसका सिर्फ एक ही समाधान है कि जो भी चीजें हम बाहर से मंगाते हैं हम बाहर से मंगाना बंद करें अपने देश में उस चीज को यहां पर बनाना शुरू करें अपनी देश में बनाने के लिए दो चीजें चाहिए होती हैं, एक राइट पॉलिसी कि उन इंडस्ट्रीज में यहां पर जो इंडस्ट्रीलिस्ट है उनको बताया जाए कि आप यहां पर इन प्रोडक्ट्स या सर्विसेस को बनाओ जिससे हम इंपोर्ट करना बंद करें और एक प्रॉपर प्लेटफार्म दिया जाए। दूसरा यहां पर एक और चीज इंपोर्टेंट होती है जो हमारा स्किल्ड लेबर है ना, जो हाईली स्किल्ड पीपल हैं लेबर नहीं हाईली स्किल्ड पीपल जो वाइट कॉलर पीपल हैं, हाईली स्किल्ड वो, जैसे ही उनकी पॉकेट थोड़ी सी ठीक होती है उनको बाहर अपॉर्चुनिटी मिलती है वो बाहर निकल जाते हैं क्योंकि इंडिया में यहां पर इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है इंफ्रास्ट्रक्चर किस तरह का इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है।
अगर हम सड़कों पर चल रहे हैं, जो टॉप सिटीज हैं उनके भी फुट पाथ यहां पर कब्जा आए हुए हैं, वहां पर वो भी टूटे हुए हैं, गंदे किए हुए हैं और फिर ये सब चीजें परेशान करती है गलत साइड से लोग आ रहे हैं, और गलत साइड से आते हुए लोगों को अगर होर्न दिया जाए तो सर पर भी चढ़कर आते हैं। तो जब तक माहौल सिविक सेंस वाला ठीक नहीं होगा, तब तक, जिस इंसान को भी बाहर निकलकर बाहर जाकर काम करने की अपॉर्चुनिटी मिलेगी वो बाहर चला जाएगा और जो इनोवेशन अभी जो हमारे पीएम हैं वो सोचते हैं समझते हैं कि इंडिया में इनोवेशंस वाला हिसाब किताब ये थोड़ा सा बढ़े, इनोवेशन यहां होना शुरू हो तो जब तक मोदी सर आप इन टॉप क्लास लोगों को बाहर भेजने से नहीं रोक पाओगे ना तब तक वो इनोवेशन यहां पर सक्सेसफुल नहीं होगा हम टीसीएस जैसी सर्विस कंपनी में ही बने रह जाएंगे हम कभी भी आईटी कंपनीज नहीं बना पाएंगे इंडिया में जब तक इनोवेटिव पीपल बाहर जाना नहीं बंद करेंगे और इनोवेटिव पीपल को बाहर जाने से रोकने का एक ही तरीका है कि लॉ एंड ऑर्डर यहां पर सख्त किया जाए और जिसका जो काम है उसका वो काम होना चाहिए यहां पर मनमानी जो चल रही है ना सड़कों पर, वो मनमानी नहीं होनी चाहिए। तो एक छोटा सा मैंने आपको हिंट दिया है बहुत सारे फीडबैक सबके पास आते होंगे तो यह भी एक कारण है।
मैं आपको ये कारण बताने की कोशिश कर रहा हूं तो यहां पर कारण कभी भी यूएस डॉलर, भारतीय रुपया या फिर अपना एसटीटी या फिर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन या शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स नहीं था। यहां पर कारण था इंटरेस्ट रेट का हाई बने रहना और इंटरेस्ट रेट हाई क्यों बना हुआ था क्योंकि यहां पर इस चीज को शायद नजरअंदाज किया गया। नजरअंदाज क्यों किया गया, बहुत सारे चुनाव हुए, बहुत सारे चुनाव में एक ही डर लगा रहता है कि मंहगाई ना बढ़ जाए, मंहगाई नहीं बढ़े इसको रोकने का एक ही तरीका है कि ब्याज दर यहां पर बढ़ा कर रखे जाएं। ब्याज दर बढ़ेगा तो उसका एक दूसरा दुष्प्रभाव भी है जो नकारात्मक प्रभाव है और वो नकारात्मक प्रभाव है यहां पर ग्रोथ का कम होना अब जब यहां पर ग्रोथ अगर कम हो गई तो उसका प्रभाव तुरंत नजर नहीं आता उसका प्रभाव अगली 12 माह की अवधि में नजर आता है अब उसके नकारात्मक प्रभाव नजर आए थे अंतिम तिमाही की जो जीडीपी नंबर्स थे वो बेकार थे और उससे पहले भी कोई खास नंबर्स नहीं थे बैंकों के पास सेविंग्स नहीं जा रही हैं लोगों के पास सेविंग बच नहीं रही हैं। और जब सेविंग्स नहीं बचेगी तो वास्तव में जो प्रोडक्ट्स एंड सर्विसेस हैं उनकी मांग अपने आप से कम हो जाएगी। तो जो वास्तविक कारण थे वो दो थे, एक यहां पर ब्याज दर का ऊंचा बने रहना और दूसरा यहां पर तकनीकी रूप से बाजार का ओवर बोट रहना यानी कि बहुत ज्यादा ऊपर चढ़े रहना तो उसका नीचे आना यहां पर जायज था। दो कारण थे अब यहां पर जो तकनीकी कारण है तकनीकी कारण तो यहां पर नीचे आ चुका है बाजार नीचे आ चुकी है।
बाजार को अगर हम देखें तो बाजार कहां तक करेक्ट होकर नीचे आती है 300 डे मूविंग एवरेज के नीचे तक आती है वहां थोड़ा सा समय बिताती है और वापस से ऊपर चली जाती है तो 300 डे मूविंग एवरेज बाजार को यहां पर बड़ी अच्छी सपोर्ट देती है देखो जो 2020 वाला सीन है ना ये 2020 वाला डिफरेंट सीन है यहां पर ये एक कोविड वाला सिनेरियो है जो कभी-कभी आता है लेकिन उससे पहले अगर आप देखोगे तो 300 मूविंग एवरेज के नीचे जब भी मार्केट आएगी तो ये खरीददारी के स्तर होते हैं। ये खरीददारी की श्रेणी है इससे नीचे आने पर बड़े लोग आकर खरीददारी करते हैं कभी थोड़ा सा ज्यादा नीचे में चली जाती है कभी थोड़ा सा कम नीचे में रहती है। लेकिन ये एक टाइम रहता है 300 मूविंग एवरेज के नीचे जहां पर लोग खरीददारी करते हैं बड़े लोग खरीददारी करते हैं जहां पर तो अभी भी तकनीकी रूप से बाजार करेक्ट हो चुकी है।
अब जो सेकंड वाला कारण था ब्याज दर के कम होने का तो ब्याज दर कम होने भी शुरू हो गए हैं। एक तो ब्याज दर कम होने शुरू हुए हैं दूसरा यहां पर आयकर दर को थोड़ा सा कम किया गया है एवं यहां जो अगला बिंदु है कि ब्याज दर शायद अब लगातार यहां पर कम होते रहेंगे, 0.25, 0.25। मेरा कहना एक है कि हमें इस बात की कसम नहीं खानी चाहिए कि 0.25% पर ही हम एक बार में ब्याज दर कम करें एक मीटिंग में अगर इस टाइम पर जरूरत अर्थव्यवस्था को बूस्ट करने की है और यहां पर 0.5% ब्याज दर कम कर सकते हैं तो ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि सिर्फ 0.25 ही करेंगे अगली बार में कर देंगे फिर से 0.25। एक ही बार में 0.5 करो ना, उसमें दिक्कत क्या है। एसटीटी जैसी चीज जो थोड़ा सा कहीं ना कहीं परेशान करती है क्योंकि एसटीटी जब था तब लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स नहीं था और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स आया और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स आया तो यहां पर एसटीटी हट जाना चाहिए था अगर सेंटीमेंट्स यहां पर ठीक करने तो इस चीज को हटा देने में कोई बुराई नहीं है। यह चीजें देश के बजट के ऊपर बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं लेकर आती लेकिन इस छोटे से सेंटीमेंट्स जो ठीक होते हैं ना जो सेंटीमेंट्स चेंज होते हैं ये काफी अच्छा करते हैं।
अब बात ये नहीं है कि भाई मार्केट गिर गई तो मार्केट को उठाने के लिए इन चीजों की जरूरत है, नहीं नहीं ऐसा कुछ नहीं है मार्केट फिर भी बढ़ेगी क्योंकि ब्याज दर की साइकिल डाउन शुरू हो गई है और जो आयकर टैक्स है उसमें थोड़ी सी कटौती की गई है जिसके चलते यहां पर सेविंग्स आएंगी वापस से इकोनॉमी बूम करेगी ये तो साइकिल है उसमें कोई दोराई नहीं है लेकिन अगर अतिरिक्त भी कुछ कर दिया जाए तो बहुत अच्छी बात है। अतिरिक्त कुछ होगा नहीं, मुझे विश्वास है। इतना तो हम समझते हैं कि कौन लोग कितना-कितना कर सकते हैं मार्केट में। मुख्य कारण दो ही थे। वापस से मैं रिपीट कर रहा हूं ब्याज दर का बहुत ज्यादा रहना और बाजार का ऊपर रहना बाकी कोई कारण नहीं है। जो बाकी कारण हैं विदेशी निवेशक चले गए लगातार जाते रहेंगे कब तक जाएंगे अपने ही पैसों को जब वो कम होता देखते हैं ना तो अपने आप से बेचना बंद कर देंगे। बेचने की एक लिमिट है, किसी की भी एक बेचने की लिमिट है। अगर यहां पर हम बाजार की बात करें, अगर किसी ने मान लो उदाहरण के लिए, इस पूरी रेंज में भी खरीदा होगा तो इससे ऊपर की रैली को प्रॉफिट बुक करने में निकाला होगा अब वापस से जब ये सेम रेंज में आ गया है तो इससे नीचे अगर लेकर जाएंगे तो जो खरीददारी यहां पर की होगी, इस लेवल पर ये भी तो फिर घाटे में आ जाएगी, ये भी तो लॉस में आ जाएगी। तो विदेशी निवेशक भी एक लिमिट से ज्यादा नहीं बेचते हैं वो वापस से लाना शुरू करते हैं।
दूसरा यहां पर अगर हम अभी यूएस बाजार की बात करें और इंडिया के वैल्यूएशन की बात करें कि इंडिया की वैल्यूएशन अभी भी हाई है, क्या? इंडिया की वैल्युएशन हाई नहीं है। अगर हम यहां पर निफ्टी के पीई की बात करने लगे तो करंट पीई 20 का है और लास्ट 10 इयर्स का अगर हम डाटा देखें तो 20 के पीई के नीचे जब भी आया है ना, तुरंत इसने बाउंस बैक किया है। अब यहां पर ये 2016 में आया था वापस से साथ के साथ बाउंस बैक किया, उसके पास आया एक 21 के आसपास फिर बाउंस बैक किया। यहां पर कोविड में 20 से नीचे आया, साथ के साथ बाउंस बैक किया, फिर यहां पर 2022 में 20 से नीचे आया, फिर बाउंस बैक किया, फिर सेम 20 पर सपोर्ट लिया फिर सेम 20 पर सपोर्ट लिया, फिर सेम 20 पर सपोर्ट सोर्ट है, फिर सेम 21 पे सपोर्ट है, और अभी 20 से थोड़ा सा नीचे आ गया है, तो यहां से भी सपोर्ट लगती है। तो जो वैल्यूएशन है वो भी सपोर्ट में आता है। अब एक और पॉइंट आता है कि यहां पर यूएस के लोग यूएस में ही लगाते रहेंगे वो इंडिया नहीं आएंगे। तो ऐसा नहीं है कि यूएस की बाजार यहां पर सस्ती है।
यूएस की मार्केट, अगर आज की बात करें तो इंडिया से महंगी है। मैं यूएस का भी यहां पर एक पूरा चार्ट ओपन करके बैठा हूं। और अगर यहां पर पीई रेशो की हम बात करने लगे, तो पीई रेशो में आप देखो 20 से नीचे तो यहां भी जब भी आता है ना, साथ के साथ सपोर्ट आती है और अभी जो पी रेशो है वो 24.60 का है। अगर हम यूएस की बात करने लगे तो यह 24.6 का पीई रेशो है इंडिया से अभी महंगी है यूएस की मार्केट और ये फॉरवर्ड पीई है, ये पास्ट का भी पीई नहीं है।
तो यहां पर यूएस मार्केट से अभी इंडियन मार्केट सस्ती है टेक्निकल करेक्शन पूरी हो चुकी है, जो 300 डे मूविंग एवरेज है, उससे नीचे आ चुका है, जो फंडामेंटल रीजन थे ब्याज दर के हाई रहने के, उसको ठीक करना शुरू कर दिया गया है तो यहां से सिचुएशन अब ठीक होंगी। अब बात ये आती है कि क्या तुरंत यहां से बाजार पूरी रिकवर हो जाएगी और नया लाइफ टाइम हाई बना लेगी, नहीं ऐसा नहीं है। मार्केट यहां पर अब टाइम करेक्शन लेगी, अभी प्राइस करेक्शन आया था। अभी मार्केट यहां पर टाइम करेक्शन दिखाएगी यानी कि अब लोगों को थकाएगी, जो लोग यहां पर इस बात को देखकर अपने स्टॉक्स को स्टॉप लॉस लगाकर बेच चुके कि स्टॉक प्राइस नीचे आ गए अब वो और ज्यादा नुकसान नहीं देख सकते, अभी सिर्फ उन्होंने बेचा है। काफी लोग यहां पर बड़े जिगर वाले होते हैं कि भाई हम नहीं बेचेंगे। बाजार नीचे गिरने से, अब उन लोगों को थकाया जाएगा, यहां पर 5-6 महीने ऐसे ही बीताके और इन 5-6 महीने में क्या होगा ब्याज दर की दो-तीन साइकल्स यानी कि दो-तीन बार 0.25, 0.25 पर ब्याज दर कम हो जाएंगे, उनका वास्तविक प्रभाव लोगों की पॉकेट पर भी नज़र आएगा। उनकी जब ईएमआई कम हो जाएगी उनके पास पैसे ज्यादा बचेंगे खर्च करने के लिए, और यहां कॉरपोरेट नेट प्रॉफिट में भी रिजल्ट नजर आएगा क्योंकि उनके भी ब्याज दर जो ब्याज के व्यय हैं, वह कम हो जाएंगे और प्रॉफिटेबिलिटी बढ़ जाएगी।
तो ब्याज दर कम होने से दोहरा प्रभाव आता है। यहां पर कॉरपोरेट की आय बढ़ती है क्योंकि उनके ब्याज के खर्चे कम हो जाते हैं और लोगों की सेविंग बढ़ती है। जिससे वह और ज्यादा प्रोडक्ट, प्रोडक्ट्स एंड सर्विसेस को खरीद सकते हैं, तो दोहरा प्रभाव आता है। और ब्याज के ब्याज दर बढ़ने से यहां पर इसका नेगेटिव इंपैक्ट भी डबल डबल आता है। कंपनीज की इनकम भी बंद हो जाती है, कम हो जाती है, और लोगों की प्रोडेक्टस, सर्विसेस को खरीदने की ताकत भी कम हो जाती है। अब यह रिवर्स साइकिल शुरू हो गई है, अगले 3 से 5 माह में यहां पर इसका प्रभाव आना शुरू होगा, सेल्स बढ़ेगी क्योंकि लोगों के पास सेविंग बढ़ेगी। तो एक तरफ तो कंपनीज की सेल्स बढ़ेगी। दूसरा ब्याज के जो खर्चे हैं, व्यय हैं, वो भी कम होंगे। तो प्रॉफिटेबिलिटी और ज्यादा बढ़ेगी। अब ये प्रभाव आने में दो तिमाही लगेंगी, दो तिमाही तक, यहां पर ऑपरेटर्स लोगों को थकाएंगे। कभी मार्केट ऊपर जाएगी कभी नीचे जाएगी कभी ऊपर जाएगी कभी नीचे जाएगी थोड़ा सा एक रेंज में ऐसे घूमती रहेगी। तो भाई क्या किया जाए ये समय ऐसा ही है इसको ऐसे ही निकालना पड़ेगा। आपने जो शेयर खरीदे हैं, जो आपको लगता है कि नेक्स्ट 2-3 वर्ष में अच्छी रेवेन्यू ग्रोथ दिखाएंगे, अच्छी प्रॉफिटेबिलिटी ग्रोथ दिखाएंगे, यहां पर जो एवरेज मीडियम पीई रेशो है, उससे नीचे चल रहे हैं, सस्ते हैं, और आपको उन कंपनी के प्रोडक्ट्स एंड सर्विसेस पर विश्वास है तो उनको लेकर बैठो आपने टेक्निकल स्ट्रेटजी के बेस पर खरीदा हुआ है, उनको लेकर बैठो और जब टेक्निकल टारगेट अचीव होंगे, तब निकल जाना।
देखो बहुत बार ऐसा होगा कि आपका अगर होल्डिंग पीरियड वन ईयर का है मार्केट बेयर मार्केट में चली गई जैसे अभी सिचुएशन है। तो ऐसा होगा कि आपको ज्यादा टाइम बिताना पड़ेगा टेक्निकल टारगेट अचीव होने में, हो सकता है 12 महीने के बदले उसमें 18 महीने लगें। लेकिन जब रैली आएगी उसके बाद जब बुल मार्केट आएगा तो एक साल का जो होल्डिंग पीरियड के बेस पर आप टेक्निकल स्ट्रेटेजी के बेस पर जो स्टॉक्स लोगे, हो सकता है फिर वो 6 महीने में भी यहां पर अचीव हो जाए तो हमेशा एक साल का होल्डिंग पीरियड आपको एक साल में टेक्निकल टारगेट अचीव नहीं कराएगा कभी यह 18 माह लेगा और कभी यह 6 माह लो, तो आप औसतन आप थ्री इयर्स की साइकिल लेकर चलो तो आपका एवरेज होल्डिंग पीरियड सेम निकल कर आएगा, जिस को आपने अपनी स्ट्रेटजी के बेस पर लिया है। जो सोच समझकर आपने लिया है तो जो बुरे कारण थे बाजार के गिरने के, वो कारण खत्म होते हुए नजर आ रहे हैं। तकनीकी बात करें तो अभी टाइम करेक्शन होगा। यहीं पर मार्केट रुककर ऊपर नीचे ऊपर नीचे होती हुई तीन-चार महीने समय बिताएगी, और जो फंडामेंटल की बात थी जो मुख्य कारण थे ब्याज दर के ऊपर रहने के, वो भी नीचे आने शुरू हो गए हैं, तो वो भी चीजें ठीक हो गई हैं। वैल्यूएशन की बात करें, तो 20 का पीई जब भी इसने टच किया, उसके बाद में यहां से ऊपर गया है। और जो मीडियन पीई है लास्ट 10 इयर्स का, अगर हम वो देखने लगे तो लास्ट 10 इयर्स का मीडियन पी 23.5 है। और अभी 20 पर ट्रेड कर रहा है। वास्तव में तो ये मीडियन पीई से भी यहां पर सस्ता है। सारी चीजें फेवर में है नेट शेल में यहां से ज्यादा गिरावट नजर नहीं आती। लेकिन वी शेप रिकवरी भी नजर नहीं आती मार्केट यहां पर ऐसे ही मूव करने वाली है आप छोटी-छोटी रैली को कैप्चर करके अपनी स्ट्रेटजी के बेस पर ट्रेड कर सकते हो। अगर यह सोचे कि यहां से सीधी नॉन स्टॉप लाइफ टाइम हाई की रैली बनेगी थोड़ा सा मुश्किल नजर आता है।