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आध्यात्म

सुन्दर कांड - श्री रामचरित मानस | Sundar Kand - Shri Ramcharit Manas

जामवंत के बचन सुहाए । सुनि हनुमंत हृदय अति भाए ।। तब लगि मोहि परिखेहु तुम्ह भाई । सहि दुख कंद मूल फल खाई ।। जब लगि आवौं सीतहि देखी । होइहि काजु मोहि हरष बिसेषी ।। यह कहि नाइ सबन्हि कहुँ माथा

तुलसी दास तुलसी दास

तुलसी दास

22-03-2023
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